Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 60
________________ 53 . बेईदियतेइ दियचउंरिंदियमाइणेगजाईसु / जे भक्खिय दुक्खविआ, ते वि य तिविहेण खामेमि / / 543 // जलयरमज्झगएणं, अणेगमच्छाइरूवधारेणं / आहारट्ठा जीवा, विणासिया ते वि खामेमि // 544 // छिन्ना भिन्ना य मए बहुसो दुद्रुण बहुविहा जीवा / जे जलमज्झगएणं, ते वि य तिविहेण खामेमि / / 545 / / सपसरीसवमझे वानरमज्जारसुणहसरहेसु / जे जीवा वेलविआ दुक्खत्ता ते वि खामेमि // 546 // सद्दलसीहगंडयजाईसुं, जीवधायजणियासु / / जे उववन्नेण मए विणासिया ते घि खामेमि // 547 // ओलावगिद्धकुकडहंसबगाईसु सउणजाईसु / जे छुहवसेण खद्धा, किमिमाई ते वि खामेमि // 548 // मणुएसु वि जे जीवा, जिभिदियमोहिएण मूढेण / पारद्विरमंतेणं विणासिया ते वि खामेमि // 549 // फासगढिएण जे च्चिय, परदाराईसु गच्छमाणेणं / जे दूमियदूहविया, ते वि य खामेमि तिविहेणं // 550 // चकिवदियघाणिदियसोइंदियवसगएण जे जीवा / दुक्खंमि मए ठविआ, ते हं खामेमि तिविहेणं // 551 // सामित्तं लहिऊणं जे बद्धा घाइया य मे जीवा / सवरांहनिरवराहा. ते वि य तिविहेण खामेमि // 552 // अक्कमिऊणं आणा कारविया जे उ माणभंगेणं / तामसभावगएणं ते वि य तिविहेण खामेमि // 553 //

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