Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
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________________ किं जंपिएण बहुणा, जं जं दीसइ समत्थजियलोए / इन्दियमणाभिरामं, तं तं धम्मफल सब्बं // 224 // भीमंमि मरणकाले, मोत्तणं दुक्खसंविढपि / अत्थ देहं सयण, धम्मोचिय होइ सुसहाओ // 225 // पावेइ य सुरलोयं, तत्तो वि सुमाणुसत्तणं धम्मो / तत्तो दुक्खविमोक्ख, सासयसोक्खं लहुं मोक्खं / / 226 // धम्मेण लहइ जीवो, सुरमाणुसपरमसोखमाहप्पं / दुक्खसहस्सावासं, पावइ नरयं अहम्मेणं // 227 / / मेहेण विणा वुठी, न होइ न य बीयवज्जियं सस्सं / तह धम्मेण विरहियं, न य सोख होइ जीवाणं // 228 // धणओ धणत्थियाणं, कामत्थीणं च सबकामकरो। सग्गापवग्गसंगम-हेऊ जिणदेसिओ धम्मो // 229 // धम्मो चेवेत्थ सत्ताणं; सरणं भवसायरे / देवं धम्म गुरुं धम्मत्थी य परिक्खए // 230 // बात्तरीकलापंडिया वि पुरिसा अपंडिया चेव / सव्वकलाणं पवरं जे धम्मकलं न जाणंति / / 231 // लध्दूण माणुसत्तं जस्स न धम्मे सया हवइ चित्तं / तस्स किर करयलत्थं अमयं नटुं चिय नरस्स // 232 // जीवदयाइरमिज्जइ इन्दियवग्गो दमिज़्जइ सयावि / सच्चं चेव चविज़्जइ धम्मस्स रहस्समिणमेव / / 233 // सील न हु खडिज़्जइ न संवसिज्जइ समं कुसीलेहिं / गुरुवयण न खलिज्जइ जइ नजइ धम्मपरमत्थो // 234 / /

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