Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 41
________________ 4 . . भावसुद्धी / MENTAL PARTY मणवावारो गरुओ, मणवावारो जिणेहिं पन्नत्तो।। अह नेइ सत्तमाए, अहवा मुक्खं पयासेइ // 336 // सव्वाणवि सुद्धीणं, मणसुद्धी चेव उत्तमा. लोए / आलिंगइ भत्तारं, भावेणन्नेण पुत्तं च // 337 // दाणतवसीलभावण-भेएहिं चउविहो हवइ धम्मो / सव्वेसु तेसु भावो, महप्पभावो मुणेयब्यो // 338 // भावो भवुदहितरणी, भावो सग्गापवग्गपुरसरणी / भवियाणं मणचिंतिअ-अचिंतचिंतामणी भांवो // 339 / / मेरुस्स सरिसवस्स य, जत्तिअमित्तं तु अंतरं होइ / दव्वत्थय भावत्थय, अंतरमिह तत्तियं णेयं // 340 // दाणतवसीलभावण-भेआ चउरो हवंति धम्मस्स / तेसु वि भावो परमो, परमोसहमसुहकम्माणं // 341 // दाणाणमभयदाणं, नाणाणं जहेव केवलं नाणं / . झाणाण सुक्कज्झाणं, तह भावो सव्वधम्मेसु // 342 // कम्माण मोहणिज्जं, रसणा सव्वेसु इन्दिएसु जहा / बंभव्वयं वएसु वि, तह भावो सव्वधम्मेसु // 343 // सच्चं / A TRUTH इह लोए यि जीवा, जोहाछेअं वहं च बंधं वा / अवसं भणनासं वा, पावन्ति य अलियववणाओ // 344 //


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