Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 11
________________ अप्पत्थिओ वि सुयणा, कईण कव्वे गुणे पयासेइ / धवलेइ जयं सयलं, सभावओ चेव निसिनाहो // 31 // परमहिला जणणीसमा, मन्नइ धीरो तण व परदछ / लोगस्स निययकालं अहियं परिवालणुज्जुत्तो // 32 // सव्यञ्चिय धन्नाणं, होइ अवस्था परोवयाराए / बालससिस्स व उदओ जणस्स भुवणं पयासेइ // 33 // सप्पुरिसा चिय वसणं, सहन्ति गरुवं पि साहसेकरसा / धरणिञ्चिय सहइ जए, बज्जनिवायं न उण तन्तू // 34 // सोयन्ताणं पि नो ताणं, कम्मबंधो उ केवलं / तो पण्डिया न सोयंति, जाणन्ता भवस्वयं // 35 / / धन्ना ते वरपुरिसा, जेधिय मोत्तण निययजुबईओ / पब्वइया कयनियमा, सिवमयलमणुत्तरं पत्ता // 36 // दुजणो / TIME WIL.RED रजंति जाव कज़्ज, कयकज्जा दुज़्जणव दूमंति / जे ते कारिमनेहा, हा, हा धी निग्धिणा पुरिसा // 37 // मलमइलपंकमइला, धूलिमइला न ते नरा मइला / जे पावपंकमइला, ते मईला जीवलोगंमि // 38 // जो कुणइ परस्स दुह, पावइ तं चे सो अणतगुण / लभंति अंबयाई, न हु निंबतरुम्मि ववियम्मि // 39 // खंडीकओ वि पज्जालिओ वि चुण्णीकओ वि चुण्ण व / जीहाफलंचिओ वि हु, जणेइ दाहं अहो पिसुणो // 40 //

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