Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala
View full book text
________________ छज्जइ मरणं पि रणे, उत्तमपुरिसाण धीरहिययाणं / न य परपणामजणियं, रज्जं पि करेइ निव्वाणं // 20 // सेला चलंति पलये, मज्जायं सायरा वि मेल्लति / सुयणा तहिं पि काले, पडिबन्न नेवसिढिलंति // 21 // फरुसं न भणसि भणिओ, हससि हसिऊण जंपसि पियाई / सज्जण तुह सहावो, न याणिमो कस्स सारिच्छो // 22 // ते धना ताण नमो, ते गरुया माणिणो थिरारंम्भा / जे गरुयवसणपरिपेल्लिया वि अन्नं न पत्थंति // 23 // तुंगं चिय होइ मणो, मणंसिणो अंतिमासु वि दसासु / अत्यन्तस्स वि रविणो, किरणा उद्धं चिय फुरंति // 24 // ता तुगो मेरुगिरी, मयरहरो ताव होइ दुत्तारो। ता विसमा कज़्जगई, जाव न धीरा पवजन्ति / / 25 / / ता वित्थिण्णं गयणं, तावच्चिय जलहरा अइगहिरा / ता गरुया कुलसेला, जाव न धीरेहि तल्लंति // 26 // मेरु तिणं व सग्गं, घरंगणं हत्थछिचं गयणंगणं / चाहलियाइ समुद्दा, साहसवंताण पुरिसाणं // 27 // जोइक्खो गिलइ तमं, तं चिय उग्गिलइ कज्जलमिसेणं / अहवा सुद्धसहावा, हियये कलुसं न धारेन्ति // 28 // गेहागयं च सरणागयं च बद्धं च रोगपरिभूयं / नस्सन्तं बुढ़े बालयं च न हणन्ति सप्पुरिसा // 29 // निंदाकारीजणस्सवि, दोसग्गाही न समजणो कहवि / कुणइ सुगंधं वासिं, तच्छिज्जन्तो वि मलयरुहो // 30 //

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 124