Book Title: Paia Subhasiya Sangaho
Author(s): Bhavyadarshanvijay
Publisher: Padmavijay Ganivar Jain Granthmala

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Page 17
________________ हिययंमि निटुराओ, तणुजंपियपेहिएहिं रम्माओ। जुवइओ सरिच्छाओ, सुवण्णविच्छुरियछुरियाए // 12 // महिला आलं कुलहरं, महिला लोयामि दुच्चरियं खेत्त / महिला दुग्गइदारं, महिला जोणी अणत्थाणं // 93 // मारइ पियभत्तार, हणइपयं तह पणासए अत्थं / नियगेहं पि पलीवइ, नारी रागाउरा पावा // 94 // जो जाइ जुवइवग्गे सम्भावं मयणमोहिओ पुरिसो। दुत्तरदुक्खसमुद्दे, निवडइ सो नत्थि संदेहो // 15 // देवाण दाणवाण य, मंतं मंतंति मंतनिउणा जे / इत्थी चरिअम्मि उणो, ताणवि मंता कहिं नट्ठा // 96 / / सायरजलपरिमाण, सुरगिरीमाण तिलोअसंठाण / जाणंति बुद्धिमंता, महिलाचरियं न याणन्ति // 97 / वंचिज्जइ नियसामी, दिज्जइ जीपि किज्जए जिस्सा / कज्जे गरूयमकज्ज, हा हित्थी सावि विहडेइ // 98 // तावच्चिय नेहतरू, सिणिबंधूण वड्ढए निच्च / नारीवयणदढनिसिय- परसुधाराओ न हवन्ति // 19 // जम्मंतीए सोगो, वड्ढंतीए य वड्ढए चिंता / परिणीआए दंडो, जुवइपिआ दुविखओ निच्च // 10 // नियघरसोसा परगेहमंडणी कुलकलंककलिभवण / जेहिं न जाया धूया, ते सुहिया जीवलोगंमि // 101 // . अंतो-विस-भरियाओ, मणहररूवाओ बज्झवित्तीए / गुंजाफलस रिसाओ, होति सभावेण महिलाओ // 12 //

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