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ऐसा समुदाय : कैसा समुदाय
'पदमावतीपुरवाल' एक संयुक्त शब्द है जो परिचय देता है कि यह भारतीय दिगम्बर समाज से पृथक जाति या संप्रदाय नहीं है, बल्कि एक विशाल-समुदाय है, जो समाज का एक सुन्दर अवयव है, अंग है। सुन्दर सुसंस्कृत-अंग। एक समुदाय जो दानप्रिय है, त्यागप्रिय है, श्री जी का अभिषेक-प्रिय है, पूजन-प्रिय है। इस समुदाय ने मनगत उदात्त विचारों का अवदान तो दिया ही है, वह आचरण-प्रधान स्वस्थ-क्रियाओं का पोषक भी रहा है। मैं क्रिया-काण्ड का पोषण नहीं कह रहा हूं, ध्यान रखें।
मन-वचन की युति रूपी रथ पर आचरण की मूर्ति, सदा बैठी मिलती है, इस समुदाय में। __ मैं कभी किसी समुदाय की तुलना अन्य समुदाय से नहीं करता क्योंकि हर समुदाय की समय और स्थान पर आश्रित मान्यताएं और अपनी परम्पराएं हैं। एक समुदाय की परम्परा/प्रथा दूसरे को अच्छी लगे यह आवश्यक नहीं है। अतः कभी भी कोई व्यक्ति किसी की आलोचना, परंपरा स्तर पर न करे तो यह सकल जैन समाज के संगठन और एकता के लिए शभ गण माना जावेगा।
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