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विषयानुक्रमणिका
प्रथम वर्ग - कल्पिका (निरयावलिका)
विषय
विषय
पृष्ठ संख्या
श्रेणिक द्वारा निर्भर्त्सना
२६
१. प्रथम अध्ययन प्रस्तावना २. राजगृह नगर आदि का वर्णन
पुत्र का रुदन श्रेणिक का अंगुली चूसना ३०
३. सुधर्मा स्वामी का पदार्पण
पुत्र का 'कोणिक' नामकरण
३१.
३२
३२
३३
कोणिक का माता के पादवंदनार्थ जाना ३३
कोणिक - चेलना संवाद
३४
४. जंबू स्वामी की जिज्ञासा व समाधान
५. कालकुमार का परिचय
६. कालकुमार और रथमूसलसंग्राम
७. काली देवी की चिन्ता
८. भगवान् का पदार्पण
६. काली का भगवान् के समीप गमन
१०. भगवान् की देशना
११. काली की जिज्ञासा का समाधान
१२. पुत्र शोक से अभिभूत काली देवी
१३. गौतम स्वामी की जिज्ञासा व
प्रभु का समाधान
१४. चेलना का स्वप्न-दर्शन
१५. चेलना का दोहद
१६. श्रेणिक द्वारा कारण- पृच्छा
१७. श्रेणिक का आश्वासन
१८. अभयकुमार का आगमन १६. अभयकुमार द्वारा पिता को सांत्वना
२०. दोहद पूर्ति का उपाय
२१. चेलना देवी का संकल्प
२२.
पुत्र जन्म - उकरड़ी पर फिंकवाना
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पृष्ठ संख्या क्रं.
१ २३. ३२४.
४ २५.
५ २६.
२७.
२८.
२६.
३०.
३१.
३२.
८
१०
१०
११
१२
१३
१३
१५
३३.
३४.
३५.
३६.
१६
३७.
१८
३८.
१६
३६.
२०
४०.
२२ ४१.
२३ ४२.
२४ ४३.
२५ ४४.
२७ ४५, २८ ४६.
कोणिक का विचार
कालादि कुमारों को बुलाना
कोणिक राजा बना
श्रेणिक की मृत्यु
कोणिक का शोक और चंपागमन
वेहल्लकुमार की क्रीड़ा
पद्मावती का विचार
हार - हाथी की मांग.
चेटक की शरण में
कणिक का दूत भेजना
चेटक राजा का उत्तर
कणिक का दुबारा दूत भेजना
कोणिक का तिबारा दूत भेजना
युद्ध की चेतावनी
काल आदि दस कुमारों को बुलाया
युद्ध की तैयारी
कोणिक का निर्देश
३५
३६
३८
३६
४१
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४१
४३
४४
४५
४७
४८
४६
४६
५०
५१.
कोणिक का युद्ध के लिए प्रस्थान चेटक का अठारह गणराजाओं से परामर्श ५१ ।
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