Book Title: Neminirvanam
Author(s): Vagbhatt Mahakavi, Vagbhatt Mahakavi
Publisher: Pandurang Javji

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Page 24
________________ काव्यमाला। न्स श्रीजिनो जनयतात्तव सुप्रभातम् ॥ २५ ॥ भामण्डलेन वदनेन च भूरिधाम्ना ___ यः शोभमानविमलाकृतिरेति लक्ष्मीम् । आसन्नभानुशशिनः कनकाचलस्य स श्रीजिनो जनयतात्तव सुप्रभातम् ।। २६॥ यं वीक्ष्य विस्मयविधायिवपुःखरूप___ मत्यन्तविस्मृतशिलीमुखमोक्षकर्मा ।। कामः कराकलितकार्मुक एव तस्थौ स श्रीजिनो जनयतात्तव सुप्रभातम् ॥ २७ ॥ . यत्पादपद्मयुगसंततसंनिधाना दासीदशोक इति कीर्तिपदं द्रुमोऽपि । आलम्बनं निरयमापततां जनानां स श्रीजिनो जनयतात्तव सुप्रभातम् ॥ २८ ॥ भाखप्रदीपनिभधर्मकथोपदेश__ दीपेन यस्य दलिते तमसां प्रसङ्गे । पश्यन्ति मुक्तिपदवीं मुनयः सुखेन स श्रीजिनो जनयतात्तव सुप्रभातम् ॥ २९ ॥ यः कूपदेशपतितं जनमन्धमेव मभ्युद्धरत्यलघुवाग्गुणवैभवेन । निष्कारणैककरुणाकरतां दधानः स श्रीजिनो जनयतात्तव सुप्रभातम् ॥ ३०॥ सा कौमुदीव शशिनः परिपाण्डुबिम्ब महाय कैरक्मनं(?) स्मितचारुतेव ।

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