Book Title: Neminirvanam
Author(s): Vagbhatt Mahakavi, Vagbhatt Mahakavi
Publisher: Pandurang Javji
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३ सर्गः]
नेमिनिर्वाणम् । वैतालिकीवचनमित्युपकर्णयन्ती __तत्याज राजदयिता तलिनं तदानी।। ३१ ॥ देवि स्थिरेण विजयः क्रियतां पदेन
नम्रासु पार्थिववधूषु निधीयतां हक् । द्वाःपालिकाभिरिति संततमुच्यमाना
शृङ्गारमण्डपमगादथ सा सलीलम् ॥ ३२ ॥ उत्तुङ्गपीवरपयोधरबन्धुरश्रीः . .
खच्छाम्बरव्यतिकरं प्रतिपद्य सद्यः । . रेजेतरां शरदिव स्फुरदाननेन्दु
निद्रादरिद्रसरसीरुहसुन्दराक्षी ॥ ३३ ॥. तस्याः शरीरमपदोषमशेषकान्ति-. . .
माधुर्यमार्दवमुग्वैश्च गुणैर्गरीयः । .... काम्यं सुकाव्यमिव जातमलंकृतीना ..
योगेन रूपकसमुच्चयदीपकानाम् ॥ ३१ ॥ पुष्पावकीर्णकबरीजितकामतूणं .
कर्पूरगौरतिलकानुकृतेन्दुबिम्बम् । लावण्यनिर्भरमनोहरहारतार- मालोक्य मण्डनमसो मुकुरे जहर्ष ॥ ३५ ॥ देवी ततश्च परितोऽपि विराजमानं .:.
सन्माननक्रमकरं वपुरुद्वहन्ती। . मन्दाकिनीव बहुधा महिमाभिरामं .
___ याति स्म सारसहितं निजजीवितेशम् ॥ ३६ ॥ १. सन्मानने क्रमस्य करम, सन्माना नका मकराश्च यस्मिन्

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