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द्वार खोलते तो खुल जाता। बिना चाबी के द्वार नहीं खुलता था।
सेठ भीतर तो प्रविष्ट हो गये और नोटों के बण्डल गिनने लगे। इसमें अत्यन्त समय व्यतीत हो गया। सेठजी को जब प्यास लगी तो वे चाबी ढूँढने लगे, क्योंकि वे ताला खोल कर बाहर पानी पीने के लिये जाना चाहते थे, परन्तु आज वे चाबी लाना ही भूल गये थे। अब क्या हो ?
सेठ चाबी खोज खोज कर थक गये, परन्तु चाबी कहीं मिली नहीं। सेठ की प्यास में वृद्धि होती ही गई, परन्तु चाबी के बिना द्वार खुले कैसे ? और द्वार खुले बिना पानी प्राप्त कहाँ से हो ?
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पानी ! पानी ! पानी ! सेठ पानी के लिये हाय-हाय करने लगे, परन्तु उन्हें कोई उपाय नहीं दिखाई दिया, तब उन्होंने एक कागज पर लिखा- "यदि इस समय कोई व्यक्ति मुझे एक गिलास पानी पिला दे तो मैं अपनी समस्त सम्पत्ति उसके चरणों में समर्पित कर देने के लिये तैयार हूँ।" अन्त में पानी की प्यास के कारण तड़प-तड़प कर सेठ के प्राण पखेरू उड़ गये । कैसी करुण मृत्यु ! ये मृत्यु कौन लाया ? धन की ममता ही उनकी मृत्यु का कारण बनी। इस प्रकार का धन का मोह किस काम का, जो स्वयं की ही मृत्यु का कारण बन जाये ? इस कारण ही ज्ञानी पुरुष धन प्राप्ति के लिये 'नीति' नामक धर्म पर नियमित अमल करने की बात कहते हैं। जिन व्यक्ति का धन नीति से, न्याय से उपार्जित किया हुआ होगा, उस व्यक्ति की ऐसी करुण दशा कदापि नहीं होगी।
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अनीति के धन का भोजन भी त्याज्य है
ज्ञानी पुरुषों का तो यहाँ तक कथन है कि जिस प्रकार अनीति का धन त्याज्य है, उसी प्रकार से अनीति से उपार्जित धन से प्राप्त भोजन भी त्याज्य ही है।
अनीति के धन से लाया हुआ भोजन मानव की बुद्धि भ्रष्ट करता है, बुद्धि को दूषित करता है। जो अनीति से उपार्जित धन का स्वामी होता है, उसके घर का भोजन यदि कोई दूसरा व्यक्ति कर तो भी उसकी बुद्धि बिगड़ जाती है। इस कारण ही आज भी अनेक धर्म-चुस्त मनुष्य किसीके भी घर का पानी तक नहीं पीते। इसका कारण यही होने का अनुमान लगता है।
जैन महाभारत का प्रसंग
जैन महाभारत में एक प्रसंग आता है। भीष्म पितामह शर-शैया पर लेटे हुए थे। बाणों के घावों से वे कराह रहे थे। पांड़व और द्रौपदी उनकी सेवा-शुश्रूषा में लीन थे। वे सब जानते थे कि भीष्म पितामह कितने शक्तिशाली हैं एवं सहनशील हैं। अतः कराहते हुए भीष्म की चीखें सुन कर उन सबको आश्चर्य हो रहा था।
उस समय द्रौपदी ने साहस करके भीष्म को पूछा, “पितामह! आप अत्यन्त बलवान एवं सहनशील हैं, फिर भी इतनी चीखें निकालने का कारण क्या है ?”
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