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ऐसे असीम एवं अपार उपकारी माता-पिता की पूजा करने वाले व्यक्ति को शास्त्रों ने आदि-धार्मिक बताया वह सर्वथा यथार्थ ही है और इसके विपरीत जो ऐसे उपकारियों का उपकार स्मरण नहीं रखता, निरन्तर याद नहीं रखता उसे शास्त्र 'कृतघ्न' कहते हैं। उस प्रकार के 'कृतघ्न' व्यक्ति में धर्म प्राप्त करने की प्राथमिक पात्रता भी नहीं है।
डॉ. टोडरमल की प्रेरक घटना -
डॉ. टोडरमल की सच्ची घटना अत्यन्त प्रेरक है। डॉक्टर टोडरमल अत्यन्त ख्याति-प्राप्त डॉक्टर होने के पश्चात् भी उनकी माता उन्हें सदा 'बेटा टोडर' कह कर ही पुकारती। माता के लिये तो चाहे जितना प्रसिद्ध पुत्र भी अन्त में पुत्र ही है न ? परन्तु किसी भी कारण से यह बात डॉक्टर टोडरमल नहीं समझा। इस कारण इतना प्रसिद्ध होने के पश्चात् भी उन्हें उनकी माता 'टोडर' कह कर पुकारे यह उन्हें उचित नहीं प्रतीत होता था। अत्यन्त समय से मन में घुटती हुई बात को उन्होंने अपनी माता को कह दी "माँ। अब मैं जब इतना विख्यात डॉक्टर हो गया हूँ तब भी तू मुझे टोडर कहकर पुकार यह उचित नहीं है। अत: भविष्य में तू मुझे 'टोडरमल' कहकर पुकारना।" माता को पुत्र की इस बात पर आश्चर्य होने के साथ भारी आघात लगा। रात्रि होने पर उसने टोडरमल को कहा "पुत्र। आज रात्रि में तू मेरे ही साथ मेरे बिस्तर में सोये और मैं कहूँ उस प्रकार तू करे तो ही मैं तुझे कल से टोडरमल के मानयुक्त नाम से बुलाऊंगी।"
___डॉक्टर ने माता की बात स्वीकार कर ली। रात्रि में घोर नींद में सोये हुए डॉक्टर को जगाकर माता ने कहा 'पुत्र। मुझे पानी पिला।" डॉक्टर ने उत्तर दिया "माँ। नौकर से मंगवा ले, मुझे अत्यन्त नींद आ रही है।" माता ने कहा "पुत्र। पानी तुझे ही लाना पड़ेगा।" तब विवश होकर डॉक्टर उठा और उसने माता को पानी लाकर दिया। माता ने कुछ पानी पीया और शेष बिस्तर में गिरा दिया। टोडरमल तुरन्त अकुला उठा। वह भीगा बिस्तर छोड़कर अन्य बिस्तर पर सोने के लिये जाने लगा। तब माता ने उसे रोककर कहा "पुत्र। तुझे इस गीले बिस्तर में ही सोना है। यह तो पानी से ही गीला बिस्तर है, परन्तु तू जब छोटा था तब बार-बार बिस्तर में मूत्र करता था तो भी मूत्र से गीले बिस्तर में मैं तनिक भी मुँह बिगाड़े बिना सोई रहती थी और आज एक दिन भी तू गीले बिस्तर में नहीं सो सकता। माता के उपकार का तनिक विचार कर।'' यह बात सुनकर डॉक्टर टोडरमल का मिथ्याभिमान पिघल गया और तत्पश्चात् वह माता का अत्यन्त पूजक हो गया।
माता-पिता का उपकार क्या ?
एक दिन एक युवक ने किसी चिन्तक को प्रश्न किया "हम पर माता-पिता का उपकार क्या ? यह तो वे अपना सांसारिक भोगमय जीवन यापन करते थे, उससे हमारा जन्म हो गया, इसमें
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