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Georoscost SPECIESes
(बारहवाँ गुण)
उचित व्यय 'ते ते पाँव पसारिये, जेती लंबी सौर'
व्ययमायोचितं कुर्वन्
(उचित व्यय)
जीवन यापन के लिये धन आवश्यक है। धन व्यय किये बिना जीवन यापन नहीं हो सकता, परन्तु सदा यह विचार करना आवश्यक होता है कि उक्त व्यय सद्व्यय है, अथवा व्यय है अथवा अपव्यय है।
आत्म-कल्याणकारी धन-व्यय सद्व्यय है। जीवन निर्वाह के लिये अनिवार्य धन-व्यय 'व्यय' है और ...
मौज शौक एवं वैभव विलास के लिये व्यय किया जाने वाला धन व्यय अपव्यय' है।
गृहस्थ को कितना व्यय करना चाहिये ? इसका सुन्दर माग-दर्शन हमें इस गुण के विवेचन में जानने को मिलता है। 'धन साध्य नहीं', साधन है' यह बात यदि हृदयस्थ हो जाये तो जीवन में ईमानदार होना कठिन अवश्य प्रतीत होगा। परन्तु असंभव तो नहीं ही है। ___'ऋण लेकर भी घी पियो' यह मान्यता केवल नास्तिक
की ही नहीं, दिवालिये की भी होती है। सच्चे सज्जन के लिये इस प्रकार का विचार भी अस्पृश्य होता है।
__अत: मार्गानुसारी आत्मा का बारहवाँ, गुण है उचित व्यय।
GOROSCO. 156 SOSO90909