Book Title: Mangal Mandir Kholo
Author(s): Devratnasagar
Publisher: Shrutgyan Prasaran Nidhi Trust

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Page 160
________________ जीवन को अनेक प्रकार की दुष्टताओं से परिपूर्ण करने वाले इन व्यसनों एवं पापों का अवश्य ही परित्याग करना चाहिये। निन्द्य प्रवृत्तियों का आचरण करने वाला व्यक्ति चाहे जितना धनवान हो, भौतिक सुख-साधनों का स्वामी हो, परन्तु सज्जनों की दृष्टि में वह पूर्णत: भिखारी है और अध्यात्म की दृष्टि से वह बिचारा रंक है। ऐसे मनुष्यों को इस लोक में भी सतत भय होता है और उनका परलोक तो भयावह होता ही है। ऐसे मनुष्यों के मन निष्ठूर, क्रूर तथा निर्दय होते हैं और इस कारण सज्जनों, शिष्ट-जनों के समाज में उनकी विशेष प्रतिष्ठा भी नहीं रहती। इस प्रकार अनेक दृष्टिकोणों से सोचने पर निन्द्य प्रवृत्तियों का जीवन में से अवश्य त्याग करना चाहिये। GORIGISGE 155 SOODOOSCOPE 155

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