Book Title: Mangal Mandir Kholo
Author(s): Devratnasagar
Publisher: Shrutgyan Prasaran Nidhi Trust

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Page 150
________________ ORossacredeesear (ग्याहरवाँ गुण) निन्द्य प्रवृत्तियों का त्याग निन्दनीय कार्य को त्याग दें... अप्रवृत्तश्च गर्हिते।। निन्द्य प्रवृत्तियों का त्याग जो प्रवृत्तियां निन्दनीय हैं, शिष्ट पुरुषों ने जिन कार्यों को, जिन क्रियाओं को निन्दनीय माना है उनका परित्याग कर देना चाहिये। यदि प्राप्त उत्तम मानव-भव को, उत्तम जाति को एवं उत्तम कुल को हम विफल नहीं होने देना चाहते हों तो उस विफलता के कारण का परित्याग करना ही होगा और वह कारण है हमारी निन्दनीय प्रवृत्तियाँ। अत्यन्त विलासपूर्ण जीवन निन्द्य है। विलासी मनुष्य प्राय: व्याकुल रहते हैं। जीवन में सुख और शान्ति प्राप्त होना प्राय: उनके भाग्य में नहीं होता। सात व्यसनों में प्रेम पूर्वक लिप्त होने वाले व्यक्ति विशिष्ट JR आन्तरिक आनन्द के भोक्ता नहीं होते। मदिरा, जुआ, शिकार (आखेट), ___ मांसाहार, परस्त्रीगमन, वेश्यागमन एवं चोरी ये प्रत्येक पाप जीवन के समस्त सुख तथा आनन्द का सर्वनाश करने में समर्थ हैं। निन्द्य प्रवृत्तियों का परित्याग करने की प्रेरणा प्रदान करने वाले इस गुण का विवेचन पठनीय एवं मननीय है। GSTR 14s SEEDOOOOOO

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