________________
Geereasri SOSSESS
सातवां गुण उचितघर
कैसे घर में रहेंगे ? अनतिव्यक्तगुप्ते च, स्थाने सुप्रातिवेश्मि के। अनेक निर्गमद्वार - विवर्जितनिकेतन।।
(उचित -घर) 'घर का निर्माण करना ही पाप है' यह कहने वाले जैन शास्त्रकार जहाँ कैसे घर में रहना?' इस सम्बन्ध में भी उपदेश दे, वहाँ स्थूल बुद्धि से सोचने पर हम भी अकुलाने लगें।
फिर भी घर विहीन (अर्थात साधु) होने की जिनमें शक्ति नहीं है, उन आत्माओं के लिये संसार में रहने के लिये धन की तरह घर भी अनिवार्य साधन है।
___ तो फिर किस प्रकार के घर में रहना चाहिये जिससे हमारे सदाचार को धक्का न लगे? हमारे धर्म-कार्य को धक्का न लगे? हमारा जीवन कुनितियों में फँस कर दूषित कार्य न कर बैठे ?
इन समस्त प्रश्नों के उत्तम प्रसंगो को प्रस्तुत करके इस गुण के विवेचन में अनेक समाधान दिये गये हैं इस कारण ही इसका पठन-मनन अवश्य करने योग्य है। ___ मार्गानुसारी आत्मा का सातवाँ गुण है - उचित घर ।
MacGC
10202 Sarana