Book Title: Mangal Mandir Kholo
Author(s): Devratnasagar
Publisher: Shrutgyan Prasaran Nidhi Trust

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Page 120
________________ उन्हें एक उपाय सूझा। ___ अपने घर पर उत्पन्न पौत्र के हर्ष का कारण बताकर सेठ ने राजा को जवाहिरात से भरा हुआ थाल अर्पित किया। राजा सेठ की नम्रता आदि गुण देखकर अत्यन्त प्रसन्न हुआ और उसने सेठ को नित्य दरबार में आने का निमंत्रण दिया। अब सेठ प्राय: नित्य दरबार में जाता। राजा के साथ उसका गाढा सम्बन्ध हो गया। राजा ने सेठ को प्रथम से हीकह रखा था कि "कोई भी कार्य हो तो सहर्ष कहना।" __ अवसर पाकर एक दिन सेठ ने राजा को निवेदन किया "राजन्! बहुत समय से मेरे मन में 'घर-मन्दिर' बनाने की अभिलाषा और भावना है। यदि आपकी अनुमति हो तो उक्त कार्य पूर्ण कर लूँ।" राजा ने कहा, "इसमें पूछने की क्या बात है ? उत्तम कार्य में तो हमारी सम्पति एवं अनुमति ही होती है।" घर जाकर उन्होंने एक सुयोग्य कमरे में जिन-मूर्ति प्रतिष्ठित करके गृह-मन्दिर बना दिया, जिसका महोत्सव प्रारम्भ किया। इस कार्य के लिये ढोल एवं शहनाई वादकों को बुलाया गया और प्रात: से सायंकाल तक ढोल एवं शहनाई वादन का उन्हें आदेश दिया। ढोल एवं शहनाई के स्वर जोर-जोर से गूंजने लगे। समीप ही रहने वाले संगीतज्ञ परेशान हो गये, क्योंकि ढोल और शहनाई की ध्वनि में उनके आलाप दब जाते थे। अत: उन संगीतज्ञों ने राजा के समक्ष जाकर सेठ के विरूद्ध शिकायत की। राजा ने सेठ को बुलाकर संगीतज्ञों की शिकायत के सम्बन्ध में उससे बात की। सेठ ने निवेदन किया "राजन। मैंने आपकी अनुमति लेकर जिन-मन्दिर बनाया है और जहाँ मंन्दिर होता है वहाँ ढोल, नगारे आदि तो बजेंगे ही नं?" राजा ने कहा - "सेठ। कोई बात नहीं|आपको घबराने की कोई बात नहीं है। आप सहर्ष भगवान की भक्ति करें। मैं इन संगीतज्ञों का निवास स्थान बदल देता हूँ।" राजा की आज्ञा से संगीतज्ञों का निवास स्थान बदल दिया गया। सेठ के हृदय में शान्ति हो गई। उनकी पुत्र-वधुओं के शील-भंग का भय टल गया। उपद्रव युक्त स्थान में, चाहे जैसे पड़ोस में, चाहे जैसे घर में (आवास में) शील एवं सदाचार जोखिम में ही रहता है। उनका निवारण करने के लिये सेठ की तरह कुशलता पूर्वक उपाय करना चहिये। 5. गृह-श्रृंगार संस्कार पोषक - घर के भीतर अंगार एवं सजावट भी विकारोत्तेजक नहीं होनी चाहिये। अनुचित एवं अश्लील दृश्यों, अभिनेता एवं अभिनेत्रियों के चित्रों, विकारोत्पादक चित्रों आदि से अपने आवास को नहीं सजाना चाहिये। केलेण्डर, फर्नीचर एवं 'शो-केस' आदि भी धर्म की ओर प्रेरित करने वाले NCEROSS11590090900

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