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होंगे। तात्कालिक लाभों के विचार को प्रधानता देकर इस सुव्यवस्था के आयोजन को धक्का लगाने से अपना और समग्र आर्य-प्रजा का घोर अहित ही है। यह बात हमें अच्छी तरह समझ लेनी चाहिये।
अब हम मूल बात पर आते हैं। जो लोग आजीवन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकते, उनके लिये विवाह करना और उस प्रकार से काम-पुरुषार्थ का सेवन करना अनिवार्य है। अर्थ एवं काम पुरूषार्थ कब हो?
यदि काम-पुरुषार्थ करना ही है तो वह पशुओं की तरह चाहे जिसके साथ और चाहे जिस प्रकार से उन्मत्त होकर नहीं किया जाता, परन्तु उसमें भी धर्म को ही प्रधानता दी जाती है और सदाचार आदि के द्वारा उसे नियन्त्रण में रखा जायें, जिसके लिये आर्यावर्त में विवाह की व्यवस्था हेतु उचित नियम निर्धारित किये गये हैं।
अर्थ एवं काम भी तब ही पुरुषार्थ बनते हैं, जब उन्हें धर्म के द्वारा अर्थ की वासना को नियन्त्रित किया जाये तो वह अर्थ पुरुषार्थ बनता है, अन्यथा वह अर्थान्धता कहा जायेगा।
इसी प्रकार से काम के उपभोग में परस्त्री-त्याग एवं स्वस्त्री-सन्तोष आदि के रूप में सदाचार स्वरूप धर्म के द्वारा काम-वासना को यदि नियंत्रित की जाये तो वह काम-पुरुषार्थ कही जायेगी, अन्यथा वह कामान्धता कहलायेगी।
आर्य देश के महा संतों ने सोचा कि यदि प्रजा को सचमच सखी एवं धर्मात्मा बनानी होगी तो उसे काम-वासना के सम्बन्ध में निश्चित नीति-नियमों का पालन करना ही होगा। इस कारण उन्होंने शास्त्रों के द्वारा ये समझा दिया कि किसके साथ विवाह किया जाये और किसके साथ विवाह नहीं किया जाये। भिन्न गोत्रज तथा समान कुल-शील आदि वालों से विवाह
भिन्न गोत्र वाले एवं समान कुल तथा शील वाले के, साथ ही विवाह करना चाहिये। इस प्रकार का विवाह उचित विवाह' माना जायेगा।
जिस पुरुष अथवा स्त्री के पिता आदि सात पीढियों तक में एक हो जाते हों उन्हें समान गोत्र वाले कहा जाता है। ऐसे दो स्त्री-पुरुषों का विवाह नहीं होता। वह अनुचित विवाह कहलाता है।
समान गोत्री व्यक्ति से विवाह करने से दोनों का रक्त समान होने से उनकी सन्तानों में सांकर्य, हीनता आदि दोष होने की सम्भावना है और यदि व्यक्ति भिन्न गोत्री हों तो उपर्युक्त दोष नहीं ... होते। उनकी सन्तान बलवान्, बुद्धिमान एवं शीलवान होती है।
गोत्र भिन्न हो, परन्तु कुल एवं शील समान होने चाहिये।
पिता, दादा आदि पूर्वजों का वंश कुल कहलाता है। यह कुल दोनों पक्षों का उत्तम होना चाहिये। स्वयं यदि उत्तम हो, पर सामने वाला व्यक्ति निम्न कुल का हो तो वैवाहिक जीवन सुव्यवस्थित नहीं रहेगा।
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