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ऐसे तो अनेक उदाहरण हैं जो प्राचीन परम्पराओं के मूल्यों को छोड़कर नवीन प्रयोग करने से होने वाली हानियों की स्पष्ट प्रतीति कराती हैं, फिर भी अभी तक हमारी परम्परागत रूढियों की अत्यन्त हँसी उड़ाई जा रही है। अनेक मनुष्य उन परम्पराओं एवं रूढियों का जाने-अनजाने विरोध कर रहे हैं।
आर्य परम्परा के प्रसिद्ध आचार
आर्य परम्परा के अन्य भी अनेक प्रसिद्ध आचार थे जैसे कि अतिथि का सत्कार करना, निर्धनों को दान आदि देना, अपनी शोभा तथा वैभव के अनुसार अनुदभट वेष-भूषा पहनना और अकाल आदि के समय निर्धनों को विशेष प्रकार से दान देना, विशेष प्रसंगों पर दूसरों के घर जाना, किसी की देखा-देखी कार्य नहीं करना, विवाह आदि के समय धन का अपव्यय नहीं करना, मितव्ययी बनकर जीवन - निर्वाह करना, धर्मरहित जीवन यापन नहीं करना, स्वार्थी नहीं होना आदि अनेक प्रकार के प्रसिद्ध आचार हैं।
हमें देश-विदेशों के प्रसिद्ध आचारों का ज्ञान अवश्य होना चाहिये । यदि ज्ञान नहीं होगा तो कई बार अत्यन्त कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
अन्य देशों के आचारों के ज्ञान के अभाव में कठिनाई
इण्डोनेशिया में प्रथा है कि जब दो व्यक्ति मिलते हैं तब वे परस्पर एक दूसरे के हाथ पर चुम्बन करते हैं। इस प्रकार की मिलन पद्धति उस देश का शिष्टाचार माना जाता है ।
एक बार इण्डोनेशिया के दो नागरिक एक स्त्री तथा एक पुरुष हज्ज करने के लिये मक्का गये थे। जब दोनों ने घर से प्रस्थान किया तब अलग अलग प्रस्थान किया था। मक्का में दोनों का मिलाप हुआ। उन्होंने अपने देश के आचार के अनुसार मिलन होने पर परस्पर एक दूसरे के हाथ पर चुम्बन किया।
दूर खड़े हुए तक सिपाही ने जब यह दृश्य देखा तो उसने उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि मक्का में सार्वजनिक रूप से परस्पर चुम्बन करना व्याभिचार माना जाता था।
राज्य सरकार ने न्यायालय में मुकदमा चलाया। उन दोनों इण्डोनेशिया निवासियों ने भी पैरवी करने के लिये एक वकील किया था। उसने न्यायालय में दलील की कि "मेरे दोनों असील इण्डोनेशिया के निवासी है और उनके देश में इस प्रकार चुम्बन करना शिष्टाचार माना जाता है। इस देश में इसे चाहे व्यभिचार माना जाता हो, परन्तु उन्हें यह ज्ञात नहीं था, अत: उन्हें क्षमा किया जाये।''
तब मक्का के न्यायालय ने इस दलील को अमान्य करके स्पष्ट किया कि, "कानून से अवगत नहीं होना कोई बचाव नहीं है (Ignorance of law is no excuse) इस देश में आने वाले मनुष्यों को इस देश के शिष्टाचारों से अवश्य अवगत होना चाहिये। उन्हें पूर्व से ही इस प्रकार का ज्ञान कर लेना चाहिये ।”
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