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यदि हम काँच के घर में रहते है तो दूसरे के काँच के घर के उपर पत्थर मार कर तनिक भी लाभ प्राप्त करने वाले नहीं हैं। स्वयं पापी पर-निन्दा क्यों करें ? एक स्त्री किसी पर-पुरूष के साथ दुराचार कर चुकी थी। उसके उस पाप की पोल खुल गई। अत: गाँव के मुखियों ने उसे समस्त जनता के समक्ष खड़ी रख कर लोगों के द्वारा पत्थर मारे जाने का प्रायश्चित दिया।
निश्चित समय पर सहस्त्रों मनुष्य उस कुल्टा पर पत्थर मारने के लिये एकत्रित हो गये। यह बात जब ईसा मसीह को ज्ञात हुई तो वे दौड़ते हुए उस स्त्री के समीप आकर खड़े हो गये और पत्थर मारने के लिये एकत्रित जन-समूह से उन्होंने कहा ''आप में से ऐसा कौन व्यक्ति है जिसने जीवन में कदापि कोई पाप नहीं किया ? इस बहन ने व्यभिचार किया और वह पकड़ी गई, अत: उसे दण्ड दिया गया। आपके दुराचार अथवा अन्य पाप पकड़े नहीं गये अत: आप दण्ड के पात्र नहीं माने गये, यही बात है न ?"
जब पन्द्रह मिनट तक भी कोई व्यक्ति सामने नहीं आया तब ईसा मसीह ने समस्त मनुष्यों को वहाँ से भगा दिया। यह दृष्टान्त हमें निन्दा के पाप से बचने का उत्तम परामर्श देता है।
___पूर्णत: पाप-रहित तो केवल वीतराग परमात्मा हैं। वे जब किसी की निन्दा नहीं करते तो हमारे पूर्ण पापी अन्य दुष्ट लोगों की भी निन्दा कैसे कर सकते हैं ?
अन्य व्यक्ति को सुधारने की बात उसे गुप्त रूप से कहेंप्रश्न : किसी व्यक्ति को यदि हम उसके दुर्गुणों के विषय में नहीं कहेंगे तो वह सुधरेगा कैसे? उत्तर : किसी व्यक्ति का आप सुधार करना चाहें तो उसके दुर्गुणों की सार्वजनिक रूप से निन्दा आलोचना तो नहीं होनी चाहिये। उस व्यक्ति को उसकी भूलें बताने के लिये प्रथम तो हमें वैसा अधिकार चाहिये।
यदि हमें उस प्रकार का अधिकार हो तो भी खुल्लम खुल्ला तो उसकी निन्दा नहीं की ही नहीं जा सकती। वैसा करने से तो वह व्यक्ति उल्टा फोड़े की तरह वक्र हो जायेगा।
कुछ विशिष्ट वक्ताओं को भी अनेक व्यक्तियों की सार्वजनिक रूप से आलोचना, निन्दा करने का शौक होता है और उनके अनुयायी उनके उस कृत्य की अत्यन्त प्रशंसा करते हैं ऐसे उदण्ड वक्ताओं को मिथ्या बल प्राप्त होता है।
किसी व्यक्ति को यदि सचमुच सुधारना हो तो उसका सच्चा उपाय यह है कि उसे अपने पास बिठाकर गुप्त रूप से अत्यन्त प्रेम पूर्वक वात्सल्य भाव से अपनी भूले बतानी चाहिये।
भूलें भी तुरन्त नहीं बताई जाती। प्रथम तो उसके वास्तविक गुणों की प्रशंसा की जाये और तत्पश्चात् ही उसकी वास्तविक भूलों की ओर उसका ध्यान आकर्षित किया जाये, ऐसा करने