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इतनी बातों को निश्चित निर्णय करें
अत: मनुष्य को अपने जीवन में निम्न लिखित कुछ बातों का निश्चित रूप से निर्णय कर लेना चाहिये
किसी भी प्रकार का व्यय करने से पूर्व अच्छी तरह सोचें। अंधाधुंध क्रय एवं व्यय कदापि न करें। स्वार्थ के कार्यों में सदा मितव्ययी रहे। परमार्थ के कार्यों में यथा शक्ति उदार रहें। निरर्थक व्यसनों का त्याग करें अथवा उस त्याग के लिये निरन्तर प्रयत्नशील रहें। फैशन के फंदे में न फंसे। ऋणी कदापि न बनें क्योंकि ऋणी बनने का अर्थ है दुःखों को निमन्त्रण देना।
अल्प आय हो तो विशेष रूप से सोचना कि हमारी ये सब वस्तुएँ ऋणी होकर तो नहीं आ रही है?
सजावट की एवं निरर्थक विलासी वस्तुएँ घर में कदापि न लावें। व्यसनों और फैशन की दासता का त्याग करो
फैशन के कारण भी आज अनेक मनुष्य धन का भारी दुरूपयोग करते रहते हैं। प्राचीन समय के अनेक व्यक्ति वा आदि में अत्यन्त मितव्ययी होते थे। अवसर आने पर कारी वाले कपड़े भी वे पहनते थे। हाँ, स्वच्छता के विषय में वे पूर्ण सावधानी रखते थे। यद्यपि सभी लोगों को कारीवाले वस्त्र पहनने आवश्यक नहीं हैं, परन्तु फैशन के मोह में पड़कर व्यर्थ व्यय करना बर्बादी को निमंत्रण देने तुल्य है।
आज तो सामान्य आय वाले लोगों में भी अत्यन्त भड़कीले वस्त्रों की भरमार दृष्टिगोचर होती है। मिनी, मेक्सी, सलवार-दुपट्टा, बैल-बॉटम, जिन्स आदि के मोह के कारण धन का तो दुरूपयोग किया जाता है, परन्तु स्त्रियों एवं कुमारी युवतियाँ भड़कीले वस्त्र पहनकर अपने शील की बर्बादी को स्वयं ही निमन्त्रण देती हैं।
फैशन को भारी कठिनाई यह है कि वह कदापिस्थिर नहीं रहती। कल तक फिट पैन्ट-शर्ट पहनने की फैशन थी और आज ढीले पैन्ट-शर्ट पहनने की फैशन चली, जिससे पुराने वस्त्र बेकार हो जाते हैं और नूतन वस्त्रों का जालिम व्यय सामने आता है।
बैन्जामिन फ्रैंकलिन ने एक सुन्दर बात कही है कि, "मनुष्य की अपेक्षा फैशन अधिक वस्त्र निकाल देती है।" हमारी आय का अधिकतर अंश यह फैशन खा जाती है। फैशन के पीछे किया जाने वाला व्यय सर्वथा अनुचित है।