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कातन्त्रव्याकरणम् सर्कारेण, होतृकारः' आदि पाँच सन्धियों के दुर्गवृत्ति में उदाहृत तथा रूपसिद्धिवाले १९६ शब्दों की वर्णानुक्रम सूची] तृतीयं परिशिष्टम् [दुर्गवृत्ति, दुर्गटीका, विवरणपञ्जिका तथा कलापचन्द्र नामक चार व्याख्याओं में उद्धृत १४५ श्लोकों का सङ्ग्रह । इसमें कुछ अर्धश्लोक
भी सम्मिलित हैं] ४१. चतुर्थं परिशिष्टम्
३३८-४१ [दुर्गवृत्ति, दुर्गटीका, विवरणपञ्जिका तथा कलापचन्द्र नामक चार व्याख्याओं में जिन शब्दों के लौकिक विग्रह, समासादि उक्त हुए हैं, वे
१६७ शब्द इस परिशिष्ट में संगृहीत है] ४२. पञ्चमं परिशिष्टम् = विशिष्टशब्दाः
३४२-४८ [विषय, प्रक्रिया, पारिभाषिक प्रयोग, शैली आदि के सूचक लगभग ३००
विशिष्ट शब्दों का संग्रह इस परिशिष्ट में किया है] ४३. षष्ठं परिशिष्टम् = उद्धृता ग्रन्थाः
३४९-५२ [दुर्गवृत्ति, दुर्गटीका, विवरणपञ्जिका, कलापचन्द्र नामक चार व्याख्याओं तथा समीक्षा में जिन लगभग १५० ग्रन्थों का स्मरण किया गया है, उनका
यहाँ संग्रह है] ४४. सप्तमं परिशिष्टम् = उद्धृतानि आचार्यनामानि
३५३-५६ [दुर्गवृत्ति, दुर्गटीका, विवरणपञ्जिका, कलापचन्द्र नामक चार व्याख्याओं में तथा समीक्षा में प्रसङ्गतः जिन लगभग १४० आचार्यों का समुदाय या
व्यक्ति के रूप में स्मरण किया गया है, उनका यहाँ संकलन है] ४५. अष्टमं परिशिष्टम् = हस्तलेखादिसहायकग्रन्थपरिचयः ३५७-६१
[१६१ हस्तलेखों तथा १३ मुद्रित ग्रन्थों का परिचय (हस्तलेखसूची, ग्रन्थसंख्या, प्रकाशनस्थान, प्रकाशनसमय) । कातन्त्र के अतिरिक्त भी लगभग ४० ग्रन्थों का प्रकाशनादि परिचय दिया गया है, जिनसे उद्धरण - समीक्षा आदि कार्यों
में सहायता प्राप्त हुई है] ४६. नवमं परिशिष्टम् = साङ्केतिकशब्दपरिचयः
३६२-६४