Book Title: Karmprakruti
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 71
________________ ३६ एषां पञ्चशरीराणां भङ्गानाह कर्म प्रकृति तेजाक मेहिं तिए तेजाकम्मेण कम्मणा कम्मं । कयसंजोगे चदुचदुचदुदुगएकं च पयडीओ ॥ ६६ ॥ तिये इति श्रौद । रिकवै क्रियिका हारकत्रयेण तैजस- कार्मणाभ्यां संयोगे कृते चतस्त्रश्चतस्रश्चतस्रः प्रकृतयः । तद्यथा — औदारिकौदारिक १ श्रदारिकतैजस २ श्रदारिककार्मण ३ औदारिकतैजसकार्मणाः ४ । वैक्रियिकवैक्रियिक १ वैकियिकतैजस २ वैक्रियिककार्मण ३ वैक्रियिकतैजसकार्मणाः ४ । आहारकाहारक १ आहारक तैजस २ आहारककार्मण ३ आहारकतैजसकार्मणाः ४ । पुनस्तैजसे कार्मणेन संयोगे कृते तैजसतैजस १ तैजसकार्मण २ इति द्वे प्रकृती २ । पुनः कार्मणं कार्मणेन संयोगे तदा कार्मणकार्मण १ इत्येका प्रकृतिः । एवमेकत्रीकृताः पञ्चदश १५ भवन्ति । एतासु औदारिकौदारिकादयः कार्मणकार्मणान्ताः सदृशद्विसंयोगाः पञ्च पुनरुक्ता इति त्यक्त्वा शेषदशसु त्रिनवत्यां निक्षिप्तासु त्र्युत्तरं शतं १०३ नामकर्मोत्तरप्रकृतयो भवन्ति ॥ ६६ ॥ श्रोलिय उब्विय श्राहारय तेजणामकम्मुदए । च णोकम्मसरीरा कम्मैव य होइ कम्मइयं ॥२॥ पंच य सरीरबंधणणामं ओराल तह य वेउव्वं । आहार तेज कम्मण सरीरबंधण सुणाममिदि ॥ ७० ॥ शरीरबन्धनानाम पञ्चप्रकारं भवति । बन्धनशब्दः प्रत्येकं सम्बध्यते - औदारिकशरीरबन्धनं नाम १। तथा च वैक्रियिकशरीरबन्धनं नाम २ आहारकशरीरबन्धनं नाम ३ तैजसशरीरबन्धनं नाम ४ कार्मणशरीरबन्धनं नाम ५ । किमिदं नाम बन्धनत्वमिति चेदौदारिकादिशरीरनामकर्मोदयवशादुपात्तानामाहारवर्गणायातपुद्गलस्कन्धानामन्योन्य प्रदेशसंश्लेषणं यतो भवति तद्बन्धननाम ५|१२|२९| ॥७०॥ अब इन पाँचों शरीरोंके संयोगसे उत्पन्न होनेवाले भेदोंका निरूपण करते हैं तैजस और कार्मण शरीरके साथ औदारिक, वैक्रियिक और आहारक शरीरका आपस में संयोग करनेपर चार-चार भेद होते हैं, इस प्रकार तीनोंके मिलकर बारह भेद हो जाते हैं । तथा कार्मण शरीरके साथ तैजस शरीरके मिलानेसे दो भेद और कार्मण शरीर के साथ कार्मण शरीरको मिलानेसे एक भेद और होता है, इस प्रकार सब मिलाकर पन्द्रह भेद हो जाते हैं ||६९|| विशेषार्थ - शरीर नामकर्मके पन्द्रह भेद इस प्रकार हैं-१ औदारिक औदारिक, २ औदारिक तैजस ३ औदारिक कार्मण ४ औदारिक तैजस कार्मण ५ वैक्रियिक वैक्रियिक ६ वैक्रियिक तैजस ७ वैक्रियिक कार्मण ८ वैक्रियिक तैजसकार्मण ६ आहारक आहारक १० आहारक तैजस ११ आहारक कार्मण १२ आहारक तैजस कार्मण १३ तैजस तैजस १४ तैजस कार्मण - १५ कार्मण कार्मण बन्धन नामकर्मके भेद बन्धन नामकर्मके पाँच भेद हैं, १ औदारिक शरीर बन्धन २ वैक्रियिक शरीर बन्धन ३ आहारक शरीर बन्धन ४ तैजस शरीर बन्धन और ५ कार्मणशरीर बन्धन ॥७०॥ १. गो० क० २७ ॥ 1. व औदारिकौदारिक १ वैक्रियिकवैक्रियिक २ श्राहारकाहारक ३ तैजसतैजस ४ कार्मणकार्मण ५ इति सदृशद्विसंयोगा पञ्च प्रकृतीः परिहृत्य उद्वरितं दशसु त्रिनवत्यां निक्षिप्तासु सतीसु । 2. व गाथेयं नास्ति । Jain Education International. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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