Book Title: Karmprakruti
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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संदृष्टि ३ गाथा २०६६की संस्कृत टोकामें नामकर्मकी प्रकृतियों की संख्या-सूचक अंक-संदृष्टि इस प्रकार दी है--
प अप्र सा स्थि अ
G4
दु
दु
आ अ य अ निती
पिण्ड प्रकृतियाँ
५ अ सा स्थि अ अ अ सु दु । सु । हु आ अ य अ निती ४२ पिण्ड प्रकृतियाँ | RRRRRR १ १ १ १२ | २२२२९३ अपिण्ड प्रकृतियाँ
संदृष्टि ४ गा० १३९ की एकेन्द्रियसे लेकर असंज्ञिपंचेन्द्रिय तकके जीवोंके स्थितिबन्धकी संदृष्टि
एके द्वी० बी०
चतु०
असं० पं०
चाली०
सा०४ सा० २५९ | सा० ५०४ सा० १००४ सा० १०००९
तीसि०
सा० 3
सा० २५३ सा० ५०३ सा० १००३ सा० १०००
वीसि० ___ सा० 3 | सा० २५३ सा० ५०३ सा० १००३ सा० १०००
संदृष्टि ५ गा० १४३ की प्रशस्त प्रकृतियों के अनुभागकी संदृष्टिप्रशस्त प्र० ४२
प्रशस्त प्र०४२
शर्करा
प्रशस्त प्र० ४२
४ उत्कृष्ट ३ अनुत्कृष्ट २ अजघन्य १जघन्य
अमृत शर्करा खण्ड
खण्ड
ENENE
अप्रशस्त प्रकृतियोंके अनुभागकी संदृष्टि
अप्रशस्त प्र० ३७
अप्रशस्त प्र० ३७ | विष
अप्रशस्त प्र० ३७
हालाहल
विष
४ उत्कृष्ट ३ अनुत्कृष्ट २ अजघन्य १ जघन्य
कांजीर
कांजीर
कांजीर निम्ब
निम्ब
निम्ब
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