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कर्मप्रकृति दरिद्र देखिए है अरु कोई एक श्रीमान देखिए है, तातें जीव अरु कर्म दोनोंका अस्तित्व सिद्ध होय है । अहमिति प्रतीत्या आत्मनः अस्तित्वं प्रकटीभवति । यदि आत्मा पदार्थ एव न भवेत् तर्हि अहमिति ज्ञानमेव न स्यात . तस्मादात्मनोऽस्तित्वं तितत्येव । अहं कहिए 'मैं हैं इस प्रतीति करि आत्माका अस्तित्व प्रगट सिद्ध होय है। यदि आत्मा नामका कोई पदार्थ हो न होय तो 'अहं' इस प्रकारका ज्ञान ही न होय । तातें आत्माका अस्तित्व सिद्ध है।
देहोदएण सहिओ जीवो आहरदि कम्म-णोकम्मं ।
पडिसमयं सव्यंगं तत्तायसपिंडओ व्व जलं ॥३॥ देहोदयेन सहितः जीवः, देहाः पञ्च औदारिक वैक्रियिकाहारक-तैजस-कार्मणास्तेपामुदयेन प्रतिसमयं सर्वाङ्गः कर्म नोकर्म आकर्षति । देह जो शरीरनामा नामकर्म सो पंच प्रकार है
औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस, अरु कार्मणके भेद करि । सो तिनके उदय करि सहित जो यह जीव है सो प्रतिसमय अपने सर्व आत्म-प्रदेशनिकर कर्म अरु नोकर्मको ग्रहण करै है । किंवत् ? तप्तायःपिण्डं जलवत् । यथा तप्तलोहः सर्वाङ्गेण जलमाकर्पति तथा जीवः देहोदयेन कर्म आकर्षति । जैसे अगनिविर्षे खब तपाया जो लोहेका पिण्ड सो सर्वांगकरि जलको खींचे है तैसे ही शरीर नाम कर्मके उदय करि यह जीव सर्व आत्म-प्रदेशनिकरि कर्मको अपने भीतर आकर्षित करै है।
. समये-समये जीवोऽयं [ कियन्ति ] कर्माण्याकर्षतीति प्रश्नः, तत्रोच्यते-समय-समय विर्षे यह जीव कितनेक कर्मनिकू आकर्षित करै इस प्रश्नका उत्तर दीजिए है
सिद्धाणंतिमभागं अभव्वसिद्धादणंतगुणमेव ।
समयपबद्धं बंधदि जोगवसादो दु विसरित्थं ॥४॥ सिद्धानन्तिमभागं सिद्धराशेरनन्तिमभागः-सिद्धजीवनिका जो प्रमाण है, उनके अनन्तवें भागप्रमाण कर्मप्रदेशनिकू यह जीव एक समयवि बांधे हैं। पुनः अभव्य सिद्धा. दनन्तगुणमेव-अभव्यराशेरनन्तगुणम् । बहुरि अभव्य जीवनिका जो प्रमाण है, तिनतें अनन्तगुणे कर्मप्रदेशनिकू एक समयविर्षे बांधे है। एतासां वर्गणानां समयप्रबद्धं बध्नाति-इतनी प्रमाण वर्गणानिके समुदायरूप समयप्रबद्धको बांधे है। पुनः किंभूतं समयप्रबद्धम् ? विसदृशं आयुर्वर्जितसप्तकर्मजाति वर्गणासंयुक्तं बध्नाति । बहरि कैसे समयप्रबद्धको बांधे है ? विसदृश भी समयप्रबद्धको बांधे है। जो समय प्रबद्ध बांधे है तिनि वि आयुकर्म-रहित शेष जो सात कर्म-जातीय जो वर्गणा है ति निकरि संयुक्त बांधे है। कस्मात् ? योगवशात् मनवचनकाययोगात्-कैसे बांधे है ? योग जो मन वचन काय तिसके वशि करि यह जीव कर्मवर्गणानि... बांधे है।
भावार्थ-जितनी कछू संसार में अभव्यराशि है, तिसको जो अनन्तगुणा कीजे, ता सिद्धराशिको अनन्तमा भाग होय । अरु जो सिद्धराशिके अनन्तवें भागको अनन्तमा भाग , करिए तो अभव्य राशि होय । तिसतें सिद्धराशिके अनन्तवें भाग अरु अभव्यसिद्धतें अनन्तगुणा ए दोऊ गिनती समान है। इस गिनती समान जो वर्गणा मिले तो एक समयप्रबद्ध कहिए। ऐसे समय प्रबद्धको समय-समयविर्षे संसारी जीव निरन्तर बांधे है मन वचन काय इन तीनों योगके उदयतें।
इहां कोई प्रश्न करे है कै सिद्धराशिके अनन्त में भाग अरु अभव्यराशिके अनन्तगुणे
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