Book Title: Karmprakruti
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 191
________________ परिशिष्ट नं० २ अगुरुलघुनाम अङ्गोपाङ्गनाम अक्षुदर्शन ९५ ७ ३ ४४ ४४ अचक्षुदर्शनावरण अनन्तानुबन्धिकषाय ६१ अनन्तानुबन्धिक्रोध ५७ अनन्तानुबन्धिमान ५८ अनन्तानुबन्धिमाया ५९ अनन्तानुबन्धिलोभ ६० अनादेयनाम १०० अनुमानवन्ध अन्तराय अन्तरायकर्मी अपर्याप्तनाम " " अप्रत्याख्यानावरण कषाय क्रोध मान ५८ माया ६९ लोभ ६० अप्रशस्त विहायोगतिनाम ७५ अभीक्ष्णज्ञानोपयोग १५४ ९३ 27 अ अवग्रह अवधिज्ञान "1 23 अम्लनाम अयशः कीर्त्तिनाम अरतिमोहनीय अर्थावग्रह अर्धनाराच संहनन अर्हद्भक्ति Jain Education International. गा० अवधिज्ञानावरण अवधिदर्शन अवधिदर्शनावरण २६ १४४ १६१ १०० ६१ ५७ १०० ६२ ३७ ७६,८० १५५ ३७ ३९ ३९ ४५ ४५ पारिभाषिक शब्दकोष अबाय अशुभनाम असातावेदनीय अस्थिरनाम आचार्यभक्ति आतप आतपनाम आदेयनाम आ आनापानपर्याप्ति आनुपूर्वीनाम आसादन आहारकशरीरनाम आहारपर्याप्त आहारकबन्धन आहारकसंघात इन्द्रियपर्याप्ति इ ईहा ईहावरणमतिज्ञान उच्चगोत्र उच्छ्वासनाम उद्योत उद्योतनाम उ उपघातनाम उपभोगान्तराय उष्णनाम ॠ ऋजुमतिमन:पर्ययज्ञान ए एकेन्द्रियजातिनाम गा० ३७ १०० ५२ १०० १५५ ९६ ९९ ९९ ९३ १४४ ६८ ९९ ७० ७१ ९९ ३७ ३७ १३ ९९ ९६ ९६ ९५ १०२ ९२ ४० ६७ For Personal & Private Use Only औदारिकबन्धन ७१ औदारिकशरीरनाम ६८ ७२ औदारिकसंघात औदारिकाङ्गोपाङ्ग ७३ कटुकरसनाम कर्कशनाम कर्म कषायमोहनीय कार्मणशरीरनाम कुब्जक संस्थान कृष्णवर्णनाम केवलज्ञान क केवलज्ञानावरण केवलदर्शन केवलदर्शनावरण क्रोध गतिनाम गन्धनाम गुरुनाम गोत्रकर्म ग च चक्षुर्दर्शन चक्षुदर्शनावरण चतुरिन्द्रियजाति चारित्रमोहनीय कर्म ज गा० जातिनाम जुगुप्सानोकषाय ज्ञानावरणकर्म ९३ ९.३ ३ ६१ ६८ ७२ ९१ ४१. ४१ ४६ ४६ ५७ ६७ ९१ ९३ १३ ४४ ४४ ६७ ५५ ६७ ६२ ४२ www.jainelibrary.org

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