Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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मूल प्रकृतियों में भूयस्कर बंध की संख्या का विवेचन मूल प्रकृतियों में अल्पतर बंध की संख्या मूल प्रकृतियों में अवस्थित बंध की संख्या
मूल प्रकृतियों में अवक्तव्य बंध न होने का कारण ६४ गाथा २३
६४-६६ भूयस्कार आदि बंधों के लक्षण
भूयस्कार आदि बंधों विषयक विशेष स्पष्टीकरण गाथा २४
- ६६-१०६ दर्शनावरण कर्म के बंधस्थान आदि की संख्या
.१०१ मोहनीय कर्म के बन्धस्थान की संख्या मोहनीय कर्म के भूयस्कार आदि बन्ध
१०५ गाथा २४
१०७-११५ नामकर्म के बन्धस्थानों का विवेचन नामकर्म के बन्धस्थानों में भूयस्कार आदि बन्ध नामकर्म के बन्धस्थानों में सातवें भूयस्कार के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण
११२ आठ कर्मों की उत्तर प्रकृतियों के बन्धस्थान तथा भूयस्कार आदि बंधों का कोष्टक
११६ गाथा २६, २७
११५-१२२ मूल कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति
११७ मूल कर्मों की जघन्य स्थिति व उसका स्पष्टीकरण ११८ गाथा २८ .
....... १२२-१२४ ज्ञानावरण, दर्शनावरण, अन्तराय कर्म की सभी उत्तर प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थिति असाता वेदनीय और नामकर्म की कुछ उत्तर प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थिति :
१११
१२३
...१२३
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