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प्रतिक्रिया से कैसे बचें ? (१)
हैं। प्रश्न हो सकता है कि ये बीमारियां कैसे मिट जाती हैं ? आपको ज्ञात होना चाहिए कि सारी बीमारियां शरीर की बीमारियां नहीं हैं, वे साइकोसो मेटिक-मनोकायिक बीमारियां हैं। मन से पैदा होने वाली, हिंसा से पैदा होने वाली बीमारियां हैं। ध्यान के द्वारा यह हिंसा का मूल, हिंसा का दबाव कम होता है, प्रतिक्रिया-विरति होती है तब बेचारी बीमारियां टिकेंगी कैसे ? उनके टिके रहने का आधार ही समाप्त हो जाता है। तर्कशास्त्र का एक नियम है, 'कारणाभावे कार्याभाव:'-कारण का अभाव होता है तो कार्य का अभाव होता है। कारण के बिना कार्य कहां से रहेगा ? इस कारण की खोज नहीं करते। आज की अनेक समस्याओं में हम बाहरी-बाहरी बातों में खोज करते हैं। मूल कारण की खोज नहीं करते। यदि इस सचाई को मानें कि मानसिक हिंसा के कारण बीमारियां बहुत बढ़ रही हैं, तो शायद दवाइयों के चक्कर में बहुत फंसने की जरूरत नहीं रहती और स्वास्थ्य के लिए बहुत चिंता करने की आवश्यकता भी नहीं रहती। स्थिति यह है कि शिविर में ऐसे बहुत सारे लोग आते हैं जो डॉक्टरों के चक्कर से थक जाते हैं और दवाइयों के चक्कर से परेशान हो जाते हैं। दवाइयों से लाभ कैसे होगा क्योंकि रोग पैदा करने वाली शक्ति तो दूसरी है। दवा लेते हैं कीटाणुओं की। डॉक्टर के पास है ही क्या ? बेचारा डॉक्टर क्या करता है ? वह तो यही करेगा कि इस बीमारी के जर्स है, जर्स को खतम कर दें। ज्यादा से ज्यादा एंटीबायोटिक देगा। बस, यही उसकी सीमा है। क्या करेगी एंटीबायोटिक ? कीटाणुओं को नष्ट करेगी। पर साथ-साथ जीवनी-शक्ति को भी नष्ट करेगी। उसका काम तो नष्ट करना है। एंटीबायोटिक में यह विवेक नहीं है कि केवल कीटाणुओं को मारे और आपके जीवन को संरक्षण देने वाले तत्त्वों को समाप्त न करे। इसका काम तो समाप्त करना है। यह जीवनी शक्ति को भी समाप्त करेगी और कीटाणुओं को भी समाप्त करेगी।
___ कोई भी एंटीबायोटिक लेने वाला परेशानियों से बचा हो, ऐसा लगता नहीं। उसे साथ में विटामिन की गोलियां लेनी पड़ती हैं, ताकि जो क्षति हो, उसकी पूर्ति होती रहे। डॉक्टर हमेशा सुझाएगा कि एंटीबायोटिक ले रहे हो तो साथ में 'बिकोसूल' लेना है। बी काम्प्लेक्स लेना है, कब तक चलेगा यह? कीटाणुओं को मारने के लिए डॉक्टर दवा देता है, रोगी लेता चला जाता है
और बीमारी का कारण कोई तीसरा है, उसका पता ही नहीं चलता। बीमारी मिटे कैसे ? यह बीमारी कीटाणु की बीमारी नहीं। ये बहुत सारी बीमारियां हिंसा का भावना से उत्पन्न बीमारियां हैं। जब मन से हिंसा निकल जाती है, तत्काल ऐसा लगता है कि स्वस्थ हो गया हूं।
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