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कैसे सोचें ?
दे दिया। श्रीमद् ने रुक्का लिया हाथ में और कहा-श्रीमद् दूध पी सकता है, किसी का खून नहीं पी सकता। यह कहते-कहते उन्होंने रुक्का फाड़ दिया। वह देखता रह गया।
यह है-अन्त:करण की करुणा। धार्मिक व्यक्ति का पहला लक्षण होता है-करुणा। जिसमें करुणा नहीं जागती, क्रूरता जिसकी समाप्त नहीं होती और वह धार्मिक भी होता है, ऐसे व्यक्ति के लिए धार्मिक शब्द का प्रयोग करना विडंबना मात्र है।
प्रेक्षा-ध्यान का प्रयोग अन्त:करण की कोमलता और करुणा की चेतना को जागने का प्रयोग है। प्रयोग के द्वारा हमारी चेतना बदले, चेतना का रूपान्तरण हो और हम हर प्राणी के साथ तादात्म्य अनुभव कर सकें यही हमारा ध्येय है।
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