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कैसे सोचें ?
सकते। उपाय और अभ्यास-ये दोनों जुड़े हुए हैं। इन दोनों का प्रयोग अलग नहीं किया जा सकता। उपाय के अभाव में अभ्यास सफल नहीं हो सकता और अभ्यास के अभाव में उपाय सफल नहीं हो सकता।
एक आदमी गाय खरीदने निकला। एक दुकान पर विश्राम करने बैठा। वह दुकान थी साइकिलों की। दुकानदार ने कहा-'साइकिल खरीद लो। गाय खरीदकर क्या करोगे ? साइकिल पर चढ़कर आराम से गांव पहुंच जाओगे। यदि तुम गाय पर चढ़कर जाओगे तो लोग मजाक करेंगे। तुम्हारे पास पैसा है, मेरे पास साइकिल । खरीद लो।' वह ग्रामीण बोला-बात तो तुम ठीक कह रहे हो। पर जब गांव जाकर, साइकिल को दुहाने बैलूंगा तो कितना मूर्ख लगूंगा ?'
उपाय सही होना चाहिए। दूध यदि पाना है तो वह साइकिल से नहीं पाया जा सकता। दूध गाय से ही प्राप्त किया जा सकता है। गाय है और यदि उसे दूहा न जाए तो दूध नहीं मिलेगा। दूध के लिए गाय भी चाहिए और दोहने की प्रक्रिया भी चाहिए। दोनों होते हैं तब दूध मिलता है। दोनों के अभाव में दूध नहीं मिलता। उपाय और अभ्यास-दोनों साथ जुड़े हुए हैं।
प्रशिक्षण तभी सफल होता है जब वह अभ्यास से जुड़ जाता है। आज दृष्टि बहुत स्पष्ट हो गई है। मध्यकाल में सारी पढ़ाई बुद्धि की पढ़ाई थी। शिक्षण कोरा ज्ञानात्मक था, बोधात्मक था, क्रियात्मक नहीं था, किन्तु विज्ञान के विकास के पश्चात् शिक्षण में सिद्धांत और प्रयोग-दोनों जुड़ गए। सैद्धान्तिक शिक्षण और प्रैक्टिकल-क्रियात्मक शिक्षण-दोनों चलते हैं। बिना प्रयोग के कोई बात सफल नहीं होती, विद्यार्थी को अनुभव भी नहीं होता। विद्यार्थी निपुण बनता है प्रयोग और प्रशिक्षण के द्वारा।
प्रशिक्षण का महत्त्वपूर्ण अंग है अभ्यास । अभ्यास से अनेक तथ्य स्पष्ट हो जाते हैं। जो सिद्धांत के द्वारा समझ में नहीं आती वह बात अभ्यास के द्वारा समझ में आ जाती है।
पहले सिद्धांत बताना होता है, फिर आसेवन की बात आती है। आचार्य ने अपने शिष्य को पाठ पढ़ाया-'अणुसासिओ न कुप्पेजा'-गुरु के अनुशासन करने पर शिष्य कुपित न हो। यह पाठ था। केवल इस पंक्ति को याद करना मात्र की पाठ पढ़ने का तत्पर्य होता तो सब पढ़ जाते। केवल ग्रहण मात्र से या जान लेने मात्र से सफलता मिल जाती तो फिर इस दुनिया में कोई विफल नहीं होता। सभी सफलता का आलिंगन कर लेते। किन्तु अभ्यास के बिना सूक्त फलता नहीं।
आचार्य ने पाठ पढ़ाया। पढ़ने वाला शिष्य था कूरगडू । उसमें खाने की बड़ी कमजोरी थी। वह न उपवास कर सकता था और न एकासन । प्रात:
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