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कैसे सोचें ?
एक मान रखा है अपने ही मिथ्या दृष्टिकोण के कारण। हम उनकी संकरी - सी भेद-रेखा को समझ नहीं पाते ।
रोग, बुढ़ापा और मरण-ये तीनों दुःख माने गए हैं । किन्तु दुःख मान लेने से भी डर की कोई बात नहीं है ।
हर आदमी रोगी बनता है पर वह रोगी असाध्य नहीं होता जो रोग को रोग जानता है, रोग को रोग मानता है, कष्ट देने वाला मानता है, किन्तु उससे डरता नहीं। वह रोगी असाध्य होता है जो रोग से डर जाता है । जो रोग से डरता है, उसका रोग हजार गुना बढ़ जाता है और जो नहीं डरता उसका रोग बहुत कम हो जाता है। कभी-कभी शून्य बिन्दू पर भी चला जाता है ।
संसार में अनेक चिकित्सा पद्धतियां चलीं रोग को मिटाने के लिए । उनका प्रयोजन है - बीमारी मिटे, दु:ख मिटे, आदमी को वेदना का सामना न करना पड़े। बीमारियों को मिटाने के लिए औषधियां, यंत्र, मंत्र, रसायन, खनिज आदि का उपयोग चला, किन्तु ऐसा भी हुआ कि कोई चिकित्सा नहीं, कोई औषधि नहीं, कोई मंत्र नहीं, केवल रोग को देखना, उसे जानना और सहन करना, उससे डरना नहीं ऐसा होने पर वे मनुष्य रोग के होने पर भी अरोग रहे हैं, बिल्कुल स्वस्थ रहे हैं । जिन लोगों ने डर के साथ दवाइयों का सेवन किया है, चिकित्सा पद्धति की शरण ली है, वे नीरोगता की कामना करते हुए भी रोगी बने रहे ।
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सनत्कुमार चक्रवती थे । सार्वभौम साम्राज्य के स्वामी । कोई ऐसा योग हुआ कि उनके सुन्दर शरीर में एक साथ सोलह बड़े रोग उतर गए। सारे रोग एक से एक भयंकर थे। शरीर के सौन्दर्य का सारा गर्व चूर-चूर हो गया। साम्राज्य को छोड़ मुनि बन गए । साधना में लग गए । प्रखर साधना की । शरीरातीत स्थिति का अनुभव करने लगे । अनेक विशिष्ट योगज लब्धियां प्राप्त हुईं। रोग बने रहे पर वे सता नहीं रहे थे, भय पैदा नहीं कर रहे थे। मुनि सनत्कुमार रोगों से आक्रान्त होते हुए भी अपने आप में अभय बने हुए थे। ऐसा लग रहा था कि रोग और स्वास्थ्य दोनों साथ-साथ चल रहे हैं और मुनि दोनों के बीच खड़े हैं। उनका ध्यान न रोग की ओर है और न स्वास्थ्य की ओर । वे अभय की मुद्रा में स्थित हैं । जो ऐसा करता है उसकी त्वचा की संवाहिता इतनी बढ़ जाती है और रोग निरोधक शक्ति इतनी तीव्र हो जाती है कि रोग रहता है पर सताता नहीं, अपने आप में पड़ा रहता है । एक दिन एक वैद्य आकर बोला - मुनिवर ! आपके शरीर का संस्थान देखकर लगता है कि आप बहुत बड़े घराने के हैं । आपकी शरीर की श्रीविहीनता देखकर लगता है कि अनेक रोग साथ चल रहे हैं। मेरे पास उन
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