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कैसे सोचें ?
आन्तरिक स्थिति बदलती है तो बाहरी परमाणु भी बदलने लग जाते हैं। समस्या है आन्तरिक स्थिति बदलने की। हम बहुत बार बाहर में कारण नहीं खोज पाते, कारण भीतर में होता है।
कुत्ता मिला, आदमी दौड़ने लगा। आगे-आगे आदमी दौड़ता है और पीछे-पीछे कुत्ता दौड़ता है। ऐसा एक बार नहीं होता बहुत बार होता है। खोजा गया कि कारण क्या है ? आगे आदमी दौड़ता है और पीछे कुत्ता दौड़ता है। इसका कोई कारण तो होना चाहिये। एक वैज्ञानिक खोज हुई। बड़ी महत्त्वपूर्ण खोज हुई। वैज्ञानिकों का कहना है कि आदमी डर के मारे दौड़ता है, वह कुत्ते से डर कर दौड़ रहा है। जब डर की स्थिति में होता है तो एड्रीनल ग्रन्थि बहुत सक्रिय हो जाती है। एड्रीनल का स्राव ज्यादा होने लग जाता है और जैसे ही एड्रीनल ग्रन्थि का स्राव ज्यादा होता है तो उसकी गन्ध चारों तरफ फैलती है। कुत्ता तो गन्ध को बहुत दूर से पकड़ता है। कुत्ते जितनी प्रबल घ्राणशक्ति किसी की नहीं होती। कुत्ते की घ्राणशक्ति इतनी प्रबल होती है कि वह गन्ध के सहारे सैकड़ों माइल तक चला जाता है। आज के कुत्तों का उपयोग होता है अपराधियों को पकड़ने में, हत्यारों को पकड़ने में और वे पकड़ते हैं। आदमी नहीं पकड़ पाता। कुत्ते पकड़ लेते हैं गन्ध के सहारे। उसमें गन्ध-विश्लेषण की शक्ति है। अपराध के स्थान पर जो गन्ध है वह किस आदमी की गन्ध है, उस गन्ध को पकड़ते-पकड़ते वे कुत्ते अपराधी को पकड़ लेते हैं और अपराधी के पास जाकर घूमने लग जाते हैं, चक्कर काटने लग जाते हैं। बड़ी तेज होती है उनकी घ्राणशक्ति। आदमी जैसे-जैसे भागता है एड्रीनल ग्रन्थि का स्राव ज्यादा होता है। गन्ध फूटती है और उस गन्ध के सहारे-सहारे कुत्ता भी दौड़ता है। अब बाहरी कारण खोजें तो पता नहीं चलेगा। कारण की खोज भीतर में करनी होगी। बाहरी कारण तो ऐसा ही लगता है कि कुत्ता काटने दौड़ता होगा। आदमी इस डर से भागा जा रहा है कि कुत्ता काटने आ रहा है और कुत्ता इस प्रलोभन से भाग रहा है कि बड़ी अच्छी गन्ध आ रही है। एक के सामने प्रलोभन है, दूसरे के सामने भय।
दुनिया में दो ही तो अपराध हैं। एक भय का अपराध और दूसरा प्रलोभन का अपराध। कोई आदमी डर कर काम कर रहा है और कोई आदमी लालच से काम कर रहा है। हमारी प्रेरणाएं, सारी सामाजिक प्रेरणाएं, इन दो सीमाओं में काम कर रही हैं। कुछ लोग डर के मारे काम कर रहे हैं। अगर डर की प्रेरणा समाप्त हो जाये, उनका कार्य भी समाप्त हो सकता है। कुछ आदमी प्रलोभन के वश काम कर रहे हैं। प्रलोभन है कि यह मिल जाये, वह मिल जाये, प्रलोभन से काम कर रहे हैं। ये दोनों प्रेरणाएं काम कर रही हैं।
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