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हृदय परिवर्तन का प्रशिक्षण
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अभाव में हृदय-परिवर्तन की बात संभव नहीं हो सकती। प्रशिक्षण के बिना अहिंसा जीवन में सफल हो सके, यह संभव नहीं है।
एक व्यक्ति ने कहा-जब युद्ध होता है तब अहिंसा विफल हो जाती है। युद्ध में अहिंसक क्या करेगा ?
मैंने कहा-अहिंसक कभी विफल नहीं होता। अहिंसा कभी विफल नहीं होती। विफल होता है पुरुषार्थ का अभाव । हमने अहिंसा का प्रशिक्षण कब दिया ? आज तक हमने इस ओर प्रयत्न किया ही नहीं। यदि अहिंसा का प्रशिक्षण मिलता है तो व्यक्ति में करने की शक्ति विकसित होती है। युद्ध के स्तर पर या जीवन के किसी भी द्वन्द्व के स्तर पर जिस व्यक्ति के मन में मरने की चेतना जाग जाती है, मरने का भय समाप्त हो जाता है तो वह कभी असफल नहीं हो सकता। असफलता का मूल कारण है-जीवन का मोह और मृत्यु का भय । जिस व्यक्ति में जीने का मोह है, मरने का भय है, वह आदमी सर्वत्र असफल रहता है। युद्ध में ऐसे व्यक्ति तो निश्चित ही असफल रहते हैं। जिस व्यक्ति में जीने का मोह समाप्त हो जाता है और मरने की विभीषिका नहीं रहती, वह आदमी अहिंसक हो सकता है। ऐसा अहिंसक आदमी कभी विफल नहीं होता।
युद्ध में जाने वाला सैनिक क्या अभी जीवन की गारण्टी लेकर जाता है ? वह तो यह सोचकर जाता है कि मरना तो बहुत संभव है, बच गया तो बड़ी बात है। वह मौत को सामने रख कर चलता है। बच जाता है तो भाग्य है। ऐसा क्यों होता है ? क्यों लड़ता है वह ? हिंसक साधनों से लड़ने वाला व्यक्ति इसीलिए लड़ता है कि उसे उस कला का प्रशिक्षण मिला है। वह जिस दिन सेना में भर्ती होता है, उस दिन से लेकर जीवन भर प्रशिक्षण का क्रम चलता ही रहता है। रोज अभ्यास, सिद्धांत का प्रशिक्षण, अभ्यास का क्रम-ये बराबर चलते हैं। हिंसा का जितना प्रशिक्षण दिया जाता है, अहिंसा का उससे आधा प्रशिक्षण प्राप्त हो तो युद्ध भी अहिंसकों द्वारा लड़ा जा सकता है और पूर्ण निर्भीकता के साथ लड़ा जा सकता है। पर आज स्थिति ऐसी है कि न अहिंसा
का प्रशिक्षण ही दिया जा रहा है और न अहिंसकों को प्रशिक्षण देने की कोई चिंता ही है। वे तो मानते हैं कि अहिंसा पर हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हिंसा तो ऊपर से थोपी जाती है, इसलिए उसकी प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होती है। अहिंसा के लिए किसी भी प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है। यह भ्रांति है। प्रशिक्षण के अभाव में सत्य विफल हो रहा है, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य विफल हो रहा है। यह कहा जा सकता है कि जीवन की सारी सचाइयां, जीवन के सारे सत्य इसलिए विफल हो रहे हैं कि इनका कोई प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है।
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