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निषेधात्मक भाव
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आत्म-निरीक्षण करना चाहिए। ये सारे विधायक भाव को जगाने के साधन हैं। जब प्रातः काल उठते ही विधायक भाव का चक्का घूम जाता है तो पूरा दिन उसी जागृति में बीतता है । यदि उठते ही बुरी बात सामने आती है तो निषेधात्मक भावों का चक्का घूमने लग जाता है और पूरा दिन उसी में गुजरता है ।
आज स्थिति कुछ बदल गई है । आज का आदमी उठते ही या तो चाय पीना पसन्द करता है, अखबार देखना पसन्द करता है या फिर रेडियो सुनना पसन्द करता है। अखबार में उसे निषेधात्मक भावों को जगाने की सामग्री अधिक मिलती है और तब आदमी का मन पूरे दिन तक उन्हीं की उधेड़बुन में बीत जाता है। आज के अखबारों में मारकाट, हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, लूट-खसोट या एक्सीडेन्टों के समाचार अधिक होते हैं । वह रोमांचकारी घटनाओं से भरा रहता है। ये सारी निषेधात्मक भावों की घटनाएं हैं और ये घटनाएं पढ़ने वालो में निषेधात्मक भावों की सृष्टि करती हैं। आदमी पूरे दिन उन्हीं के प्रभावों में रहता है। आज के आदमी का यह है प्रभु-भजन, यह है आलोचना की प्रक्रिया और यह है ओंकार जाप ।
इसलिए ऐसा अनुभव होता है कि दैनिक चर्या के निर्धारण में भी आदमी की दृष्टि वैज्ञानिक नहीं है। उसकी पूरी दिनचर्या अवैज्ञानिक है । ध्यान और साधना की बात तो बहुत आगे की बात है, पर दिनचर्या की बात तो प्राथमिक
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दिनचर्या कैसे शुरू हो ? दिनचर्या कैसे सम्पन्न हो ? दिनचर्या का आदि-बिन्दु क्या हो ? दिनचर्या का अन्तिम बिन्दु क्या हो ? इन सब पर आदमी को पहले सोचना चाहिए। पुराने जमाने में इस विषय पर बहुत ध्यान दिया गया था । उन्होंने स्वास्थ्य रक्षा के साथ-साथ इसका भी निर्देश दिया था कि स्वस्थवृत्त का ध्यान रखो । यदि तुम शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक दृष्टि से स्वस्थ रहना चाहते हो तो अमुक बिन्दु से दिनचर्या प्रारम्भ करो और अमुक बिन्दु पर उसकी समाप्ति करो ।
हमारी दिनचर्या का आदि-बिन्दु होना चाहिए शक्तिमय, चैतन्यमय और आनन्दमय प्रभु का दर्शन । दूसरे शब्दों में हमारी दिनचर्या प्रारम्भ होनी चाहिए प्रेक्षा से, दर्शन से । उठते ही हम अपने इष्ट को देखें । इष्ट वह होता है जो शक्तिमय है, चैतन्यमय है और आनन्दमय है । जो शक्तिशून्य है, चैतन्यशून्य और आनन्दशून्य है वह कभी इष्ट नहीं बन सकता । प्रत्येक आदमी उठते ही अपनी हथेलियों और रस अंगुलियों को देखता है। इसलिए देखता है कि वह जानता है- 'कराग्रे वसति लक्ष्मीः ' - हाथ की अंगुलियों में लक्ष्मी
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