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आ जगतमा समस्त प्राणीमात्रने त्राणभूत शरणभूत आभव तथा परभवमां हितकारी सुखकारी कल्याणकारीने मंगलकारी एवां त्रण तत्व छ तेनां नाम कहे एक तो देव श्रीअरिहंतजी बीजु गुरु सुसाधु तथा त्रीजो धर्म ते केवली भाषित एत्रण तत्व छे तेने आराधनानुं मुख्य कारण अनाशातना छे (आशातना नहीं करनी) अने एने विराधनानुं मुख्य कारण आशातना छे ते आशातना पण विशेषे करी अशुचिपणा थकी थाय छे इत्यादि तथा समस्त अशुचिमां महोटी अशुचि अने समस्त आशातनाओमां शिरोमणिभूत बली सर्वपाप बंधननां कारणोमां महत् पापोपार्जन करवानुं मुख्य कारण एतो एक स्त्रियोंने जे ऋतु प्राप्त थायछे अर्थात् जे पुष्पवती केहेवाय छे एटले स्त्रियोने अटकाव अथवा कोरे बेसवार्नु थाय छे तेने लोकोक्तिमें ऋतुधर्म कहे छे ते ऋतुधर्म यथार्थपणे न पालवा विषेर्नु (सर्वपाप बंधननां कारणोनां महत् पापोपार्जन करवानुं मुख्य कारण ) छे इत्यादि ।
तथा आ ग्रंथमां करेला उपदेश प्रमाणे जे पुष्पवती स्त्रियो पोतें प्रवर्तशे बीजाने प्रवर्तावशे तथा प्रवर्तनारने सहाय आपशे तेने अत्यंतलाभ थशे अने तेने परंपराए मोक्षसुखनी प्राप्ति पण अवश्य थशे-जे प्राणी आग्रंथमां करेला उपदेशथी विपरीत प्रवृत्ति करशे अथवा ए वातमा शंका कांक्षा करशे ते प्राणीनी लक्ष्मी तथा बुद्धिनो आभवमां नाश थशे अने सम्यक्त्व तो तेमां होयज क्याथी अर्थात् नजहोय तेना घरना अधिष्ठापक देवो तेने मुकी जशे अने ते जीव मिथ्या दृष्टि अनंत संसारी दुराचारी तथा कदाग्रही जाणनो केमके एम
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