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खरतरगच्छरीविगत जाणवी.
खरतरगच्छ सं०१४२२ वेगड खरतर गच्छ ५ सं० १०८० प्रथमभांणसो जियो- सं० १५६० वडाआचारजियागच्छ
गच्छ ६ सं० ११६७ मधुकरखरतरगच्छ १५
व सं० १५६४ आचार्यसागरचंद्र ७ सं० १२०४ रुद्धपल्लीय गच्छ
सं० १६२१ भावहर्ष गच्छ ८
सं०१६८७ लघुआचारियगच्छ ९ शाखा २
सं० १७०० रंगविजयगच्छ १० सं० १३३१ लघुखरतरगच्छ ३ सं० १८९२ मंडोरिय खरतर सं० १४१५ पीपलीया गच्छ ४ गच्छ ११ ___ यह ११ खरतरगच्छकी शाखाओं हैं और एकमूलशाखा है इसतरेबारे भेदरूपतपभानुकी तरह सत्यप्ररूपणा एकसमाचारीरूपी तीक्षण किरणोंकरके कर्मेधनोको जलाणेमें समर्थ होनेसें एकगच्छहि कहा जावे हैं, इस दिनकर भेदरूप एकगच्छमें अविच्छिन्न गुरुसंप्रदायागत सुद्धसिद्धान्त सत्यप्ररूपणा एकसमाचारीवगेरे सद्गुण अभीतक अखंडपणे एक रूपसें चले आरहे हैं, और सिरफ भिन्ननाम, पट्टावली मात्रकाहि भेद है, सो निज निज शाखाओंके प्रादुभर्भावसमेसें है अर्वागसें नहिं है और जिनवल्लभसूरिजी जिनदत्तम्रिजीपर्यंत सर्वखरतरगच्छीय शाखाओं कि एकहि पट्टावली है
और पूर्वोक्त पट्टावली मूलशाखाकी है इस खरतरगच्छमे वडेवडे प्रभाविक युगप्रधान आचार्य हूवेहैं और होवेगा जिसमे श्रुत प्रभावक तो एसे हुवे हैं कि अपूर्व सरसप्रधान विद्वत्ताके गमसें भरे हुवे,
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