Book Title: Jinduttasuri Charitram Uttararddha
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 204
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६१ काति वदि ५ बीकानेर श्रीसंघकृत महोत्सवसें नंदी विधिपूर्वक आचार्यपद प्राप्त भये वाद मारवाड पूरव दक्षिणवगेरे देशो में विचरे श्री सिखरजी वगेरे यात्रा करी प्रतिष्ठावगेरे कितने शुभकार्य किये वाद सं. १९६७ कातिवदि अमावस्या दीवालिके दिन ३६ वर्षका आयु पालके समाधि परोक्ष भये सद्गति प्राप्त भये ७४ श्रीजिनकीर्त्ति सूरिजी के पट्टपर ७५ मा श्री जिनचारित्रसूरिजी विद्यमान है वर्षे वर्ष गुहास्यनन्दवसुधासंख्ये शुभे मासके । माघे कृष्णसुघस्रपंचमिदिने प्राप्तं पदं चोत्तमं ॥ श्रीखरतरगणनायकः सुविहितानुष्ठानचर्यावरः । श्रीमजिनचारित्र सूरिः सुगुरुर्धीमान् सदा नन्दतु ॥ १६ ॥ वै मारवाड देशमें माडपुराग्राम निवासी बाजेडगोत्रीय साह पाबुदान पिता सोनादे माता सं. १९४२ वै० शु. ८ जन्म मूल नाम चूनिलाल दीक्षा बीकानेर में सं. १९६२ वैशाख शु. ३ दीक्षा नाम चारित्रसुंदर शास्त्रअभ्याश जैनसिद्धांत व्याकरणतर्क काव्यकोश मंत्रशास्त्र वगेरेका करके प्रगुण भये सं. १९६७ माघ कृष्ण ५ बीकानेर संघकृत नंदीमहोत्सव आचार्यपद प्राप्त भये देशविदेशमे विहारकरते चतुर्मास किये सिखरजी वगेरे तीर्थयात्रा करी मालवधरामे विचरे वदनावर गंगधार कोटा वगेरेमें श्रीगुरुमूर्त्तिचरणवगेरेकी प्रतिष्ठा करी कोंकण में मुंबईपत्तनमें विचरे आचार्यपद प्रदानक्रीया श्रीसिद्धाचलजी यात्रा वगेरे धर्मक्रिया करते विचरते है सांत गांभिर्यादिगुण विशेषभूषित मकसूदाबाद कलकता वगेरेमे व्याख्यानवाचस्पति प्रमुख बिरुद प्राप्तकीया ऐसे सूरवर विचरते For Private And Personal Use Only

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