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चढा हुवा फिरता है, (इसवास्ते, इसकों अपना राजा न्यायाधीश बनाओ, ऐसा विचारके युगललोकोंने न्यायाधीशपणें स्थापन किया, इसका विमलवाहन नाम हूवा ( इसके ) चन्द्रयशा नामें भार्या हुई, ( इसनें ) सर्व युगल लोकोंकों, जूदा जूदा कल्पवृक्ष बांटके दे दीये (जब ) कोई संतोषरहित युगलिया, दूसरेके कल्पवृक्षसे कुछ मांगता तो दूसरा क्लेश करता हूवा उसको साथ लेके राजाके पास आता ( तब ) विमलवाहन (हा) तुमनें यह क्या काम किया, ऐसी हकारकी दंडनीति करता इससे अपराधी युगल डर जाता था ( सो फेर ) वैसा काम कभी न करता था इस प्रथम कुलकरका देहमान ९०० धनुषका हुवा (सो) युगल ( तथा ) हस्ती पिछले भवमें पश्चिममहाविदेहक्षेत्र में वाणियापणें दोनुं भाइ हुए थे, ( जिसमें ) एक तो सरल था (और) दूसरा कपटी था ( परन्तु ) आपस में स्नेह बहुतथा, कपटी जो कहेता (सो) सरल मानलेता था, अन्तमें सरल भाई मरके युगल मनुष्य हूवा (और) कपटी मरके हाथी हूवा ( इससे ) एकेक को देखनेंसें ईहापोह करतां जातिस्मरण ग्यानकों प्राप्त हुवा, ( तब ) स्नेहवस होकर हाथीनें भाईकों स्कंधेपर चढालिया, इसका विस्तारसंबन्ध आवश्यक सूत्र बृहद्वृत्तिसें जाणलेना, ( इति प्रथम कुलकर संबन्ध ) ॥ १ ॥ दूसरा कुलकर, विमलवाहनका पुत्र चक्षुस्मान् नामें कुलकर हूवा (तिसके) चन्द्रकांता नामे भार्या हूई (और) ८०० धनुषप्रमाण देहमान हूवा, इसके पिण पूर्ववत् हकारकी दंडनीति रही ॥ २ ॥ इति ॥ ( तीसरा ) यशोमान नामें कुलकर हूवा ( जिसके सरूपा
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