Book Title: Jinduttasuri Charitram Uttararddha
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar
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॥ श्रीगुरुभ्यो नमः ॥ अथ श्रीदादासाहेबकी पूजा
अथ पहली थापना स्थापन करके
आह्वाहनका श्लोक पढे। सकलगुणगरिष्ठान् सत्तपोभिर्वरिष्ठान् । शमदमकजुष्टांश्चारुचारित्रनिष्ठान् । निखिलजगति पीठे दर्शितात्मप्रभावान् ।
मुनिपकुशलसूरीन् स्थापयाम्यत्र पीठे ॥१॥ ओ ही श्री श्रीजिनदत्त श्रीजिनकुशल श्रीजिनचन्द्रसूरिगुरो अत्रावतरावतर स्वाहा ॥ २ ॥ ओ ही श्री श्रीजिनदत्त अत्र तिष्ठ २ उठाठः स्वाहा इति प्रतिष्ठापनम् ॥ ॐ ही श्री श्रीजिनदत्तमरिगुरो अत्र मम संनिहितो भव वषट् इति संनिधीकरणम् ॥३॥ अथ जलका कलश लेके स्नानकर्ता शुचि होके खडारहे ॥
अथ स्तुतिप्रारम्भः। दोहा-ईश्वर जग चिंतामणी, कर परमेष्ठीध्यान । गणधर पद गुण वर्णना, पूजन करो सुजान ॥१॥ सौधो मुनिपति प्रगट, वीर जिनेश्वर पाट । मिथ्यामततमहरणको, भव्य दिखावन वाट ॥२॥ सुस्थित सुप्रतिबद्ध गुरु, सूरिमंत्रको जाप । कोटि कियो
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