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५८९ प्रश्न:-अवसर्पणी काल किसकों कहेते हैं (और) इसका क्या प्रमाण है, कितना भेद है,
उत्तर-दसक्रोडाकोड सागरोपमको अवसर्पणी काल होता है, इसका छ हिस्सा है, अर्थात्, जिसकों जैनी छ आरे कहते हैं इस कालके छ आरोंमें अच्छी वस्तुवोंकी दिनदिन हानी होती चली जाती हैं,
प्रश्नः-उत्सर्पिणी काल किसकों कहेतें हैं, (और) क्या स्वरूप है, कितना प्रमाण है,
उत्तर-दश क्रोडाक्रोडी सागरोपमका एक उत्सर्पिणी काल होता है इसकाभी छ आरा है, इस कालके छ हिस्सोंमें दिनदिन अच्छी वस्तुवोंकी वृद्धि होती है, (तथा) एक सागरोपममें असं. ख्याता वर्ष होता है, (जब) उत्सपेणी काल उतरे, तब अवसणी कालसरू होवे (और जब) अवसर्पणी काल उतरे तव उत्सर्पणी काल सरू होवे, ऐसें वीस क्रोडाक्रोड सागरोपम प्रमाणे एक कालचक्र होता है, अतीतकालमें, ऐसे कालचक्र अनंते व्यतीत होगए, (और) भविष्यतमें अनंते व्यतीस होवेंगें, (इसीमाफक) अनादि अनन्त कालतक इस जगत्रकी चढाव उतार व्यवस्था चलती रही ओर रहेगी,
प्रश्नः-अवसर्पणी उत्सर्पणी. कालके, ६ आरोंका क्या नाम हैं, (और) क्या स्वरूप है, कितना प्रमाण है,
उत्तर-अवसर्पणी कालमें पहला आरा, सुखमसुखमाचारक्रोडाक्रोडसागरोपमप्रमाण होता है, (इसकालमें) भरत
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