Book Title: Jinduttasuri Charitram Uttararddha
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५६६
प्रकासु, अहो भवियण तुमसुणो। गुरुगच्छकोटिक चन्द्रकुल अर वज्रशाखा चितमणो। गुणगण जिनेसर मरिगुज्जर विरुदपायो गुण करी ॥ सोजयउ खरतरगच्छ आणंद प्रगटसहु मविहितधरी १॥ गुरु गच्छ खरतर तेजदीपे विक्रमपुर सोहेसही ॥ जिनकीर्तिरतसूरीसरक्रमे पदकीर्तिसूरी जिनमही ॥ गणधार जयानन्द पाठक सागरमन उल्लासए ॥ बहु परिश्रमे संग्रह कियो सद्गुरु चरित्र विस्तारए २ ॥ सोधो बिबुधवर मनह उल्लासए, मालव इन्द्रपुरे बलि सुरत खासए रहीचोमासो हुवो प्रकाशए, चरित्रगुरुदेवनो मनहविलासए ३ ॥ शोधयन्तु धीधनाः मयि कृपां विधाय । यत्किचिदसिन् ग्रन्थे जिनवचोविरुद्धं गदितं मया मतिमोहतः तत् मिथ्या दुष्कृतं मेऽस्तु, बुद्धिमान्धादसंप्रदायादसदूहनादिह यत् विरुद्धं लिखितं मया तत् मिथ्या दुष्कृतं मेऽस्तु, इति श्रीकीर्तिरत्नखरिशाखायां तत्परम्परायां क्रमात्समुत्पन्नेन, जं. यु. प्र. भ. श्रीमजिनकृपाचन्द्रसूरीश्वराणां प्रधानशिष्येण विद्वच्छिरोमणिना श्रीमदानन्दमुनिना संकलिते लोकभाषोपनिबद्धे, तत् लघुभ्रात्रा उ. जयमुनिगणिना संस्कारिते युगप्रधान श्रीमजिनदत्तमरिचरिते ऐतिहासिकसंवादे युगप्रधान श्रीमजिनचन्दसूरि संक्षिप्तचरित्रवर्णनं तत्संतानसिंहसूर्यादिजिनचारित्रमरिपर्यवसानचरित्रवर्णनो नाम अष्टमः सर्गः समाप्तः ॥ समाप्तं श्रीमजिनदत्ताभिधान ऐतिहासिकचरितम् ॥
उत्तरार्ध समाप्तम् ॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240