Book Title: Jinduttasuri Charitram Uttararddha
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५५२
कर सं० १८३३ चैत्र वदि २ द्वितीयाको श्रीगोडीपार्श्वनाथकी यात्रा करी ऐसे परमसोम्यता सोभाग्यादि सद्गुणश्रेणिधारक महोपकारी पं० क्षमाकल्याणादिमुनिगणसंसेवितचरणकमलजि[का तप संजमसै भावित आत्माजिणोंका भव्योका उपकारक ऐसे श्रीजिनलाभसूरीश्वरजी महाराज सं० १८३४ आश्विन वदि दशमीको गुडा नगरमे स्वर्ग गये ॥ ६८॥
संवद्वेदहुताशनाष्टवसुधासंख्ये शुभे चाश्विने, द्वादश्युत्तरवासरेऽसितगते श्रीमद्भुढाख्ये पुरे,। यैराप्तं पदमुत्तमं गुणगुरु श्रीसद्गुरोर्वाक्यतस्ते स्युः श्रीजिनचंद्रसूरिगुरवः संघस्य कामप्रदाः॥१०॥ तत्पट्टे ६९मा श्रीजिनचन्द्रसूरिजी भए, तिके वीकानेरवासी बछावत मुहता, रूपचन्द्रपिता, केशरदेवी माता, संवत् १८०९ कल्या. णसर गाममें जन्म, अनूपचन्द्र मूलनाम, संवत् १८२२ मंडोवरने दीक्षा, उदयसार दीक्षा नाम, संवत् १८३४ आसोजवदि १३ त्रयोदशीके दिन, शुभ लग्नमें, गूढा नगरके विपे, कूकडचोपडा गोत्रीय, दोसीलरका साहने महोछव करा, सूरिपदमें प्राप्त हुवे, ऐसे ६९ मा श्रीजिनचंद्रसूरिजी परमसौभाग्यधारि सकलजगत् मनोहारि सर्व सिद्धांतका अध्ययनकीया त्रिभुवनविक्षातकीर्ति ऐसे फेर अयोध्या, चन्द्रावती, पाडलिपुर, चंपा, मुर्शिदाबाद, समेतशिखर, पावापुरी, राजगृह, मिथिला, क्षत्रियकुंडग्राम, काकंदी, हस्तिनागपुर, आदितीर्थोकी यात्रा करी, कमसें लखणेऊ आए, उहां प्रतिमा उत्थापककामत बढनेंसें, राजा बछराजने आग्रहके
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240