Book Title: Jinduttasuri Charitram Uttararddha
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 194
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५१ करते श्रीसंखेश्वरपार्श्वनाथस्वामीकी यात्राकरके सेठ गुलाबचंद सेठ भाइदाशादि श्रीसंघके आग्रहसै श्रीगुरुमहाराजसूरत बंदरगए, तिहां संवत् १८२७ वैशाख सुदि १२ द्वादशीके दिन, आदि गोत्रीयसाहनेमीदासपुत्र, भाईदासने बनवाया, नवीन चैत्यमंडन श्रीशीतलनाथ, सहसफणा पार्श्वनाथ, श्रीगोडी पार्श्वनाथ, आदि १८१, बिबोकी प्रतिष्ठाकरी, तथा संवत् १८२८, वैशाख सुदि १२ द्वादशीके दिन, उसीहि देवघरमें श्रीमहावीरादि ८२ बयांसी बिंबोकी प्रतिष्ठाकरी, प्रतिष्ठा तथा संघभक्तिमें ३६००० छत्तीसहजार रुपिया खरच करा, सीतलवाडी नामका उपासरा भाइदास नेमीदासने बनवाया उसमे श्रीआचार्य चौमासा रहै वह धर्मका मकान बृहत्खरतरगच्छीय उपास्रय प्रसिद्ध भया ॥ ६८ ॥ वाद श्रीमुनिसुव्रत स्वामीकी यात्रा वास्ते भरुछ आये उहां रात्रिमें रेवा (नर्मदा)के तटपर रहे योगिनीने जलवृष्टिका उपद्रव कीया तव सर्व सथवाडा व्याकुल भया स्वइष्टदेवस्मरणपूर्वक निराकुल कीया ततः राजनगर भावनगरादिकमें विहार करते गोगावंदर पधारे श्रीनवखंडापार्श्वनाथ स्वामीकी यात्रा करके पादलिप्तपुर (पालीताणा) पधारे सं० १८३० माघवदि५ ने ७५ मुनियोंके साथ श्रीशत्रुजयतीर्थराजकी यात्रा करी उहाँसै जुनेगड आये सं० १८३० फा० शु० ९ मी की १०५ साधुवोंके साथ श्रीगिरनार मंडन नेमिराथस्वामीकी यात्रा करके वेरावल पाटण मांगरोल बलेच पोरबंदर नवानगरादिकमे विचरते कछदेश मांडवीबंदरमे श्रीगुरुचरण कमलोंकू वांदके क्रमसै भद्रेसरयात्रा करी तथा रापुरमे श्रीचिंतामणि पार्श्वेशकी यात्रा For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240