Book Title: Jain Vidya 25
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ इस विशेषांक के लेख 'भगवती आराधना' के दो संस्करणों पर आधारित हैं 1. आचार्य श्री अपराजित सूरि-रचित 'विजयोदया टीका' व उस पर आधारित सिद्धान्ताचार्य पण्डित कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री - कृत हिन्दी अनुवाद, इसका प्रकाशन जैन संस्कृति संरक्षण संघ, शोलापुर से हुआ है, 2. द्वितीय संस्करण पण्डित सदासुखदासजी जैन ( कासलीवाल ) कृत ढूँढारी भाषा टीका है, इसके प्रकाशक हैं - प्रकाशचंद शीलचंद जैन जौहरी, 1266, चाँदनी चौक, दिल्ली - 61 इन दोनों टीकाओं/ संस्करणों में गाथा संख्या में मतैक्य नहीं है। शोलापुर से प्रकाशित संस्करण में कुल 2164 गाथाएँ हैं और दिल्ली से प्रकाशित संस्करण में 2179। इसलिए सन्दर्भों में भी गाथा संख्या का अंतर है। अतः प्रत्येक लेख में उसके आधार - संस्करण का उल्लेख किया गया है जिससे सन्दर्भ ज्ञात करने में सहजता रहे । - यह विशेषांक जिन विद्वानों के महत्त्वपूर्ण लेखों से आकार प्राप्त कर सका उन विद्वानों के हम आभारी हैं और भविष्य में भी सहयोग की अपेक्षा करते हैं। संस्थान समिति, सम्पादक मण्डल, सहयोगी सम्पादक एवं सहयोगी कार्यकर्त्ताओं के प्रति भी आभारी हैं। मुद्रण हेतु जयपुर प्रिन्टर्स प्रा. लि., जयपुर धन्यवादार्ह है। (xii) डॉ. कमलचन्द सोगाणी

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106