Book Title: Jain Shasan 2000 2001 Book 13 Ank 26 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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aneonewwewwewwwONaweiNGMONOONNONCONCONCINGINGONOMGowewwewww.NNGMOND Honomenolonchancharnoonlotonovoveovernovootonavanetotavavanslation કે પાંચ મુમુકી ભાગવતી દીક્ષાકા સંક્ષિપ્ત પરિચય શ્રી જૈન શાસન (અઠવાડિક) ક વર્ષ ૧૩ ન અંક ૩૮ ૩૯ : તા. ૨-૫-૨૦૦૧
१. वीर सैनिक मुमुक्षु वुमचन्दजी की भागवती दीक्षा
(विक्रम संवत् २०५६ मगसर वद ९) आबू पर्वत की तलहटी अनादरा से आठ किलोमीटर की । श्रीमद् विजय दर्शनरत्नसरीश्वरजी, प. प. मनिराज श्री दूरी पसिरोडी गाँव है, वहां वीर सैनिक खुमचंदजी कपूराजी एक
भावेशरत्नविजयजी म., प. पू. मुनिराज श्री प्रशमरत्नवि यजी म., भद्रिका धर्मानुरागी, सदाचार संपन्न सद्गृहस्थ रहते थे। जिन्होंने
प..पू. बालमुनिश्री रत्नेशरत्नविजयजी म., प्रवर्तिनी साध्वीजी EXB अपने च सुपुत्रो में से बडे पुत्र अल्केशकुमार (वर्तमान में मुनि श्री · |
खान्तिश्रीजी की शिष्यरत्ना प. पू. साध्वीजी किरणप्रज्ञ श्रीजी की दानरत विजयजी) को करीब सात वर्ष पूर्व अपने दीक्षा बडे धामधूम
सुशिष्या पू. हर्षितप्रज्ञाश्रीजीपू. लक्षितप्रज्ञाश्रीजी की लघु रु भगिनी से दिवाकर स्वयं विक्रम संवत २०५६ मगसर वद ९ दिनांक
साध्वीजी विश्वप्रज्ञाश्रीजी, पू. मार्गदर्शिताश्री जी, पू. १-१९९९ को रमणीया (राजस्थान) के धन्य धरा पर दीक्षित बने।
तत्त्वशीलाश्रीजी, पू. सम्यक्शीलाश्रीजी, पू. दर्शनशीला पीजी, पू. दीक्षा महोत्सव एवं उपधान महोत्सव में मगसर वद ६ दि.
हेमन्तरत्ना श्रीजी, पू. वीतरागदर्शिताश्रीजी! . XB २५-१०-९८ को अढारह अभिषेक श्रीसंघ के तरफ से, मगसर
नामकरण विधि-के बाद शा मोहनलालजी सुकराजजी पालरेचाने EX वद . २९-११-९९ को १०८ पार्श्वनाथ महापूजन छगनलालजी
खुमचंदजी कपूराजी का नाम मुनिराज श्री खान्तिरत्नविज् यजी एवं मुणोत के तरफ से, मगसर वद ८ दि. ३०-११-९९ को दलीचंदजी
गुरु का नाम प. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजय कमलरत्नर रीश्वरजी X मुणोत के ओर से, प्रभुजी के वरघोडे (रथयात्रा) के साथ वर्षीदान
म. सा. जाहेर किया। यात्रा (रघोडे) का प्रारंभ हुआ। रथ मोकलसर से मंगाया गया।
मुमुक्ष खुमचंदजी कपूराजी के दीक्षा की भव्य पत्रिका छपाई दलीचंदजी के घर पर प्रवचन एवं गुरुदेव को दलीचंदजी मुणोत
गई एवं देश के विभिन्न भागों में भेजी गई, भारत के को कोने में परिवार में गुरुदेव को कंबल वहोराई।
हार्दिक आमंत्रण भेजा था मुमुक्ष खुमचंदजी को संयम के उपकरण के चढावों का।
दीक्षा के दिन दीक्षित महात्माने अट्ठम किया, पठ्ठम की | लाभ लेनेवाले भाग्यशाली
पूर्णाहुति के दिन रमणीया निवासी एक सद्गृहस्थ के घर चतुर्विध X (१) ओघा - शा जुगराजजी सुखराजजी - दांतेवाडिया
संघ के साथ पदार्पण व्याख्यान, संघपूजन प्रवचन आदि हुआ। कांबली - शा बाबुलालजी सरेमलजी - मुणोत
बडी दीक्षा पू. गुरुदेव श्रीमद् विजय कालरत्न त्रा - चंदनमलजी चंपालालजी - बालड
सूरीश्वरजी म. ने दी, माह वद ३ दि. २३-१-२००० को पोरवाड घोलपट्टा - नेमीचंदजी भरतकुमार - श्रीमाल जोटा
जैन संघ, शिवगंज के तरफ से पू. गुरुदेव का भव्य सामैय आदि, डा - लक्ष्मीचंदजी पूनमचंदजी - मोकलसर
माह वद ५ दि. २५-१-२००० को रात्रि में भावना आदि। माह (६) थारा - भंवरलालजी गौतमकुमारजी - श्री श्रीपाल (७) पोथी - अमीचंदजी जेरुपजी - भवरानी
वद ६ दि. २६-१-२००० (२६ जनवरी) को ! निराज Exe (८) म जाहेर करने का - शा मोहनलालजी सुकराजजी
श्रीखान्तिरत्नविजयजी की बड़ी दीक्षा । गुरुदेव एवं नूतन दीक्षित
को कामली ओढाने, नामकरण आदि की बोलीया हुई। देल्ली, पलरेचा
सिरोही एवं शिवगंज, सिरोडी संघ से पधारे महानुभावों ने गोलियां हा (९) रुपूजन - प्रकाशकुमार मानमलजी - पालरेचा. प. पू. गुरुदेव आ. भ. श्रीमद् विजय कमलरत्नसूरीश्वरजी म. सा.,
में 'रंग लगाया था। बडी दीक्षा के समय पू. आ. भ. श्रीम. विजय प. पू. अभ. श्रीमद् विजय अजितरत्नसूरीश्वरजी म. से खेडबह्मा
दर्शनरत्नसूरीश्वरजी म., पू. आ. भ. श्रीमद् विजय में दीक्षा का शुभमुहूर्त मुमुक्षु खुमचंदजीने ग्रहण किया.
अजितरत्नसूरीश्वरजी म., पू. मुनिराज श्री भावेशरत्नविजय जी म., तपस्वी आ. दे. श्रीमद् विजय कमलरत्नसूरीश्वरजी
पू. मुनिराजश्री प्रशमरत्नविजयजी म., पू. दानरत्नविजय जी पू. म. सा. की शुभाज्ञा से रमणीया (राजस्थान) की धन्य धरा पर
रत्नेशरत्नविजयजी म., 'साध्वीजी हर्षितप्रज्ञाश्रीजी आदि निशाल' M (सिरोडी निवासी) मुमुक्षु खुमचंदजी कपूराजी की भागवती दीक्षा
संख्या में साधु-साध्वीयों तथा अन्य समुदाय की भी स ध्वीयां PM पर निश्रातादि साधु-साध्वीगण निश्रा दाता - प. पू. आ. दे.
पधारी थी। बडीदीक्षा के बाद स्वामिवात्सल्य आदि हुआ।