Book Title: Jain Shasan 2000 2001 Book 13 Ank 26 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
View full book text
________________
ANANDANOONCONCONOMONOONCONNONNONCONNOONNONCOMEONOONOMONOMINGONDAPNNews Si cei ce i i cei cei ce ice ice ice ice ice ice ici si cei cei ce ieieieice GUI GOVORI O GOGON SLOVAGO X श्रीनशासन (8418s)* वर्ष १3 * 3८/3८* .२२-५-२००१
॥श्री प्रेम - रामचंद्र सद्गुरुभ्यो नमः॥
NO प. पू. तपस्वी आचार्यदेव श्रीमद् विजय कमलरत्नसूरीश्वरजी महाराजा की शुभनिश्रा में ONE
राजस्थान की धन्य धरा पर एक ही वर्ष में हुई पांच मुमुक्षु ओ की दीक्षा
- मुमुक्षु:खुमचंदभाई कपूराजी सिरोडीवाला
* मुमुक्षु विकासकुमार प्रकाशचंदजी संघवी, पिंडवाडा यानी ३१ वर्ष के बाद पिंडवाडा के नवयुवक की सर्व प्रथम दीक्षा
-* मुमुक्षु कु.शालिनीबेन अमृतलालजी महेता, पिंडवाडा
* मुमुक्षु कु. सोनमबेन पारसमलजी, पिंडवाडा ।
* मुमुक्षुलक्ष्मीबेन संतोकचंदजी, पिंडवाडा
听听听
5555
555
मक
पांचा समभुओ की मायावाली बीमा का सीमित पश्चिचय
दिव्यकृपा प. पू. सिद्धांत महोदधि आचार्य दे. श्रीमद् प्रेमसूरीश्वरजी महाराजा प. पू. सुविशाल गच्छाधिपति आ. दे. श्रीमद् विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा
-
सौजन्य संघवी धर्मचंदजी किस्तुरचंदजी परिवार अमृतलालजी चुनीलालजी मेहता . छोटालालजी छगनलालजी सादरीया परिवार संतोकचंदजी हीराचंदजी मरडीया परिवार
पिंडवाडा पिंडवाडा पिंडवाडा पिंडवाडा
- -