Book Title: Jain Shasan 2000 2001 Book 13 Ank 26 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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9000NMinomenoNGINGINCONOMINANCINNAMONGONOMONOMMONGO NowerNNCONOON.9MONGOWeone Havatarnatavavonovovatavavanovoveoletootootchootchootcotectetatiotatharta સ, પાંચ મુ સુકી ભાગવતી દીક્ષા કા સંક્ષિપ્ત પરિચય શ્રી જૈનશાસન (અઠવાડિક) * વર્ષ ૧૩ : અંક ૩૮ ૩૯ * તા. ૨૫-૫-૨૦૧ शनिवा . पाटी का उपाश्रय
साहस आप करी रह्या छो। त्यारे परमात्माने अटली ज प्रार्थना तारीख-१-२.
सादड़ी के ट्रस्टी - करवानुं मन थाय छे के तमारो संगम मार्ग निष्कंटक कमो निष्कलंक
बाबुलाल वालचंदजी रांका बनो, निर्मल बनो। नोट : मुमुक्षु शालिनीकुमारी एवं सोनमकुमारी को भी इस तरह अप्रमत्तभावे विशुद्ध साधना साधी आप शीघ्रातिशीघ्र का सन्मान पत्र दिया गया।
कर्मोनी जंजीरोमांथी मुक्त थई मुक्तिपद पामो. ओज ओक अंतरनी
अभ्यर्थना। ॥ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथाय नमः ॥
लिखि ॥ श्री सीमंधरस्वामिने नमः ॥
संवत् २०५६, श्री विलेपार्ला श्वे.मू.पू.जैन संघ अन्ड चेरीटीझ प्रेम-भुवनभानु-पद्म-जयघोषसूरि सद्गुरुभ्यो नमः ॥ पो.सु.३ श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट वती सूरि प्रेम दीक्षा शताब्दी वर्षे |
रविवार
खंभात निवासी विलेपार्ला जैन संघना उपक्रमे
ता. ९-१-२००० श्रीमती ताराबेन ताराचंदभाई अंबालाल शाह श्री जि शासन आराधना ट्रस्ट आयोजित अखिल भारतीय
* परिवार ह. उपेन्द्र - दिनेश दीक्षार्थी सन्मान समारोह सन्मान - पत्र धर्मानुरागी मुमुक्षु - विकास पी. शाह . .
॥श्री आदिनाथाय नमः॥ 1. पू. वैराग्य देशनादक्ष आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी
श्री भागवती दीक्षा अभिनंदन-पत्र महाराज अने पू. मुनि श्री कल्याणबोधिविजयजी म. सा. नी मोक्षमार्गना पिपासु मुमुक्षुभाई श्री विकासभ ई मंगलक मना तथा प्रेरक मार्गदर्शनथी अखिल भारतीय दीक्षार्थी परम कल्याणकारी श्री अरिहंत भगवंतनां जयवंत शासनने सन्मानमारोहनुं विलेपार्लेनी पुण्य धरा उपर भव्य आयोजन करवामां दीपावनार हे पुण्यवान आत्मा... . आव्यु है।
श्री आकोला जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ तमोने आ देव्य पंथे मासन्मान समारोहमा भारतभरमांथी शताधिक दीक्षार्थिओं . जवा बदल अभिनंदनना पुष्पों अर्धांजली रुपे धरवा : च्छे छे । हाजर रहा छे. जेमां आपश्री ओपण हाजरी आपी समारोहनी शानने । तमारी मुमुक्षु अवस्था अभिनंदनने पात्र छ । तमारा जेवा भ ग्यशाली वधारी है।
आत्माओओ जैन शासननुं गौरव वधार्यु छ । तमारी र्वभवनी आचार्य श्री चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. सा., पू. आचार्य आराधना थी तमारा आजना भावोल्लासनी अभिवृद्धि जो ई अमारा श्री राजेन सूरीश्वरजी म. सा., पू. आचार्य हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. संघने आनंदनो पार नथी। सा., पृ. आचार्य श्री जगच्चंद्रसूरीश्वरजी म.सा. आदि विशाल आजना विषम वातावरणमां चारित्रनी भावना थवी ज दुर्लभ साधु-साध्वीजी समुदायनी उपस्थिति आ प्रसंगने विशिष्ट रीते छे. तेथी ज आवी युवान वयमां तमारी आत्मजागृति लभलाने दीपावन बनावेल छ।
धर्मना पंथे दोरी जाय छे । तमारी भव्य भावना, अपूर्व उत्साह, अनोखो संयम सन्मान समारोह अने समूहधरसीदाननां संयमनो अगाध राग, युवान वय छतां वैराग्यनो रंग, घरमा सुखी PM वरघोडा औतिहासिक आयोजन कायमी जिन्दगीनुं संभारणुं बनी छतां संसार ने लात मारवानी हिम्मत आजोई श्री संघर्नु मन भानंदथी
रहेशे । मा प्रसंगने अनुलक्षीने गामे गामनां मुमुक्षु पुण्यात्माओं डोली रह्यु छ । भौतिक युगनी सहेज सुखानुकूलता होवा : तां तेनों N संख्याब पू. साधु-साध्वीजी भगवंतो, साधको, श्रेष्ठिओं, | सर्वथा परित्याग करी सोम जीवननी कठिन साधना ने साक र करतां साधर्मियों पधारी समारोह ने भव्य बनाव्यो छे। . ... तमो जीवन ने कल्याणक बनावी रह्या छो। तमारी आ उत्कृष्ट
सीबाखोबा भरीने सुभाशिष अने शुभेच्छाओं तमोने मल्या मंगल साधनाने अमारा कोटीश: नमस्कार होजो। मोह मायानी XS छे, जे आशीर्वादनी मूडी तमारा संयम जीवनमा प्राण पुरनारी मोजीली जिंदगीना उपभोग ने आंगणे उभा रही तेनो याव जीवन KE बनी रहे।
त्याग करी महाव्रतोनां महामार्गनी मंगल मनीषा पूरा करी, KB यमनो मार्ग छे शूरानो, कायरनुं नहीं काम...प्रतिकूलताथी मातापितानी कीर्तिना कलश बनी श्री जैन शासननां गौरवोल संत X छलोछल भरेला साधनानां विकट पंथने हँसता-हँसतादवानुभगीरथ .. बनी रहो ओ बदल अमारा श्री संघना लाख लाख अभिनंद ।।
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