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( ९८ ) मालूम होता है तो इसमें वाकीके तीनगुण जरूर होने चाहिये ! अनुमान यह है " अबादीनि, चतुर्गुणानि, स्पर्शिवाद, पृथ्वीरन् । जलादि, चारो गुणवाले हैं स्पर्शवाले होनेसे जैसे पृथ्वीमें स्पर्श गुण देखा जाता है तो वाकीके तीन गुणभी वादि पतिचादी उभयके मतमें निर्विवाद माने जाते हैं वस इसतरह हरएक रुपी पदार्यमें खयाल कर लीजियेगा ! पुद्गलके परम सूक्ष्म हिस्सेको परमाणु कहते हैं उस्मेंभी रूप रसमन्ध और सर्श येह चारों गुण रहतेहैं, परमाणुका लक्षण नीचे यूजब समझें ! कारणमेवतदन्यं, सुक्ष्मो निभ्यश्चभवति परमाणुः । एकरसवर्णगन्धो, विस्पर्शः कार्यलिङ्गश्च ॥१॥ ___मतलब तमाम भेदोंके अन्तमें रहने वाला होनेके सबसे उस्को अन्त्य कहते है. और वोहि सर्व जड पदार्थोंका कारण है. और वो सूक्ष्म अर्थात् शास्त्रममाण व अनुमानसे जाना जाता है. क्योंकि इन्द्रियद्वारा हम उसे देख नहीं सक्ते हैं द्रच्यार्णिक नयके मतसे वो नित्य है (पर्यायार्थिक नयके मतके रूपादिका परिवर्तन होनेसे अनित्यभी है ) और इससे दुसरा कोइ छोटा नहीं है इसलिये इसे परमाणु कहते हैं. (यतः परमणीयो द्रव्यं नस्यात् सपरमाणु रुच्यते इतिवचनात् ) परमाणुमें पांच रसोयेंसें एकरस पांच वर्षों मेंसे एक वर्ण तथा दो गधोंमेंसे एक गन्ध होता हैं. और स्पोंमें परमाणु समु