________________
(२५७ ) भ्याससें विशेष प्रकाश होता रहेगा बडी डिग्रीयेमी प्राप्त करेंगे और धामिक ज्ञानमेंभी कुशल रहेंगे ऐसे विद्वानोसें हमारे समाजकी उन्नती अवश्य बनी रहेगी ऐसे विद्वान चाहेंगे तो अन्य देशोभी हमारे धर्मका उपदेश दे सकेंगे इस लिये में सर्वश्रीमानों विद्वानों से प्रार्थना करताहु कि पाठमालए शिघ्र तैयार
करवावें अन्तमें मै श्री कृपाल वीर परमात्माकी जय बोलता हुवा मेरे मित्र मि कस्तुरचदजी गादिया अधिपती " हिन्दी जैन कि " जिन्होने यह पत्र निकाल कर हिन्दी भाषा बोल्ने पढने वाली मालवा, मेवाड, पुर्व, वगाल, राजपूतान, पजावको प्रजाको जाग्रत किया है और आप खुद समाजकी उन्नतीके लिये कटिबद्ध हो रहे हैं उनोंका उपकार मानकर मेरे लेखको समाप्त करताहु __ अयोग्य और अनुचित लिखानकी सर्व पाठकोसे क्षमा इति शुभम्
आपका शुभेच्छक मिश्रीमल खेमचंद
१७