Book Title: Jain Nibandh Ratnakar
Author(s): Kasturchand J Gadiya
Publisher: Kasturchand J Gadiya

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Page 332
________________ ( ३१२ ) यचपि महावीरस्वामि अतीतकाल आश्रयी दीवालीपर मोक्ष हुवेथे तथापि “ आज " ऐसा शब्द करके जो वर्तमानमें आरोपण करना सो भूतनैगम है. ___भाविनैगम-भाविकाले वर्तमाना रोपणं यत्र समाविनेगमःअर्थ भाधिकालकी बात वर्तमानमें आरोपण करना सो भाविनैगम है. यया अर्हन सिद्ध एव. अर्हन्तसिद्ध ही है. यद्यपि अर्हन्त भगवन्त सिद्ध नहीं हुवे है मगर होने वाले जुरूर है ऐसा समझकर नैगमने एक देश ग्राहक स्वभावसे सिद्ध मानकर भाविको वर्तमानमें वाया सो भाविनैगम है. ___ वर्तमाननेगम-कर्तुमारब्धं ईपन्निप्यन्नं अनियंनंवा वस्तु निष्पन्नवत् कथ्यते यत्रस वर्तमान नैगमः अर्थ. कोईभी कार्य फरना शुरु किया वह कुछ हुवा कुछ न हुवा मगर उसको होनेके तुल्य कह देना जैसे ओदनं पच्यते चावल एकाये जाते हैं; चाहे उसकी सामग्री पूर्ण इखट्टी हुई हो वा नही हुई हो मगर होते है ऐसा जो कहदेनासो वर्तमान नैगम है. संग्रह नयके दो भेद है. १ सामान्य संग्रह २ विशेष संग्रह. १ सामान्य संग्रह जैसे द्रव्यमात्र आपसमें अविरोधिहै. ___२ विशेप संग्रह जैसे जीव मात्र आपसमे अविरोधी है. जरजकी दूसराज राज्यो दवारी कीसे देखता है.

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